वित्तमंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन ने बुधवार को कहा कि विशेषाधिकार समिति बीजेपी नेता अरुण जेटली की फोन टैपिंग की जांच से संबंधित अपनी रिपोर्ट की दोबारा समीक्षा करेगी, क्योंकि सदन के सभी सदस्य ऐसा चाहते हैं। फोन टैपिंग का यह मामला तब का है, जब जेटली राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे।
विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष कुरियन ने यह भी कहा कि अगर सदन चाहता है कि फोन टैपिंग के सभी मामलों के अध्ययन की संभावना को विस्तार दिया जाए, तो एक सदस्य को इस संबंध में नोटिस देना होगा।
कुरियन ने कहा, 'समिति मामले पर स्वत: संज्ञान नहीं लेती है। समिति तभी मामले की जांच करती है, जब सदन या फिर सभापति ने मामले को निर्दिष्ट किया हो। अगर आनंद शर्मा और सदन के कोई और सदस्य चाहते हैं कि अन्य सदस्यों के फोन टैपिंग मामले की भी जांच कराई जाए, तो वह सदन में या तो नोटिस दें या फिर सभापति को नोटिस सौंपें।'
अरुण जेटली जब 2013 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उस दौरान कथित तौर पर उनका फोन टैप किया गया था। यह मामला तब प्रकाश में आया था, जब दिल्ली पुलिस कांस्टेबल अरविंद डबास ने उनके फोन कॉल के ब्यौरे (सीडीआर) तक पहुंच बनाने की कोशिश की थी और उसे इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। यह मामला बाद में विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया था।
डबास ने पुलिस के सहायक आयुक्त के लॉगइन का इस्तेमाल कर जेटली का सीडीआर पाने की कोशिश की थी। राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट पिछले हफ्ते पेश की गई, जिसमें कहा गया है कि मामले में किसी भी तरह के विशेषाधिकार का हनन नहीं हुआ है।
ऊपरी सदन के सदस्यों ने तब रिपोर्ट पर दोबारा विचार करने की मांग की, जब अन्य सदस्यों ने कहा कि सभी के फोन टैपिंग से जुड़े मामलों का अध्ययन किया जाना चाहिए।
विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष कुरियन ने यह भी कहा कि अगर सदन चाहता है कि फोन टैपिंग के सभी मामलों के अध्ययन की संभावना को विस्तार दिया जाए, तो एक सदस्य को इस संबंध में नोटिस देना होगा।
कुरियन ने कहा, 'समिति मामले पर स्वत: संज्ञान नहीं लेती है। समिति तभी मामले की जांच करती है, जब सदन या फिर सभापति ने मामले को निर्दिष्ट किया हो। अगर आनंद शर्मा और सदन के कोई और सदस्य चाहते हैं कि अन्य सदस्यों के फोन टैपिंग मामले की भी जांच कराई जाए, तो वह सदन में या तो नोटिस दें या फिर सभापति को नोटिस सौंपें।'
अरुण जेटली जब 2013 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे, तो उस दौरान कथित तौर पर उनका फोन टैप किया गया था। यह मामला तब प्रकाश में आया था, जब दिल्ली पुलिस कांस्टेबल अरविंद डबास ने उनके फोन कॉल के ब्यौरे (सीडीआर) तक पहुंच बनाने की कोशिश की थी और उसे इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। यह मामला बाद में विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया था।
डबास ने पुलिस के सहायक आयुक्त के लॉगइन का इस्तेमाल कर जेटली का सीडीआर पाने की कोशिश की थी। राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट पिछले हफ्ते पेश की गई, जिसमें कहा गया है कि मामले में किसी भी तरह के विशेषाधिकार का हनन नहीं हुआ है।
ऊपरी सदन के सदस्यों ने तब रिपोर्ट पर दोबारा विचार करने की मांग की, जब अन्य सदस्यों ने कहा कि सभी के फोन टैपिंग से जुड़े मामलों का अध्ययन किया जाना चाहिए।
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