
दिल्ली सरकार द्वारा शराब पर 70 फीसदी 'कोरोना फी' लगाने के बावजूद मंगलवार को लगातार दूसरे दिन ठेकों पर भीड़ देखने को मिली. शराब के शौकीनों को न तो कोरोनावायरस के संक्रमण का खौफ़ था और न ही मदिरा पर लगाया गया भारी 'विशेष कोरोना शुल्क' उनके हौसले पस्त कर सका. कृष्णा नगर और विश्वास नगर में शराब की दुकानों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखी गईं. वहीं भीड़ को नियंत्रित करने और सामाजिक दूरी के नियम का पालन कराने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को भी तैनात किया गया.
मध्य दिल्ली के गोल मार्केट जैसे कुछ इलाकों में शराब की दुकानें बंद रहीं. यहां भीड़ को काबू में ऱखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों को भी तैनात किया गया. गृह मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन में दी गई रियायत के मुताबिक, सुबह नौ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक शराब की करीब 150 सरकारी दुकानें खोलने की इजाजत दी गई है. सोमवार को भीड़ के अनियंत्रित हो जाने के बाद शराब की कई दुकानों को बंद कर दिया गया था, क्योंकि लोग सामाजिक दूरी के नियम की परवाह नहीं कर रहे थे.
बाद में रात को, दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री पर 70 फीसदी 'विशेष कोरोना शुल्क' लगा दिया. दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने सोमवार को शराब की दुकानों के बाहर अव्यवस्था के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें दिल्ली में शराब की बिक्री का वक्त बढ़ाने की सलाह दी गई है. बुराड़ी में रहने वाले भरत कुमार सुबह आठ बजे से शराब की दुकान के बाहर कतार में खड़े हो गए और उनके आगे कई लोग पहले से ही लगे थे. दुकान खुलने का समय नौ बजे से है.
उन्होंने कहा, 'मैं शराब के लिए सुबह आठ बजे से कतार में लगा था. बावजूद इसके, मुझे तीन बोतल शराब खरीदने में डेढ़ घंटे का वक्त लगा. शराब पर 'कोरोना शुल्क' लगाने के सरकार के फैसले के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, 'इससे हमें फर्क नहीं पड़ता.' बहरहाल, ऐसे भी कई लोग थे जो दूसरे दिन भी शराब नहीं खरीद पाए.
#WATCH Delhi: A man showers flower petals on people standing in queue outside liquor shops in Chander Nagar area of Delhi. The man says, "You are the economy of our country, government does not have any money". #CoronaLockdown pic.twitter.com/CISdu2V86V
— ANI (@ANI) May 5, 2020
पूर्वी दिल्ली के शकरपुर से आए राजकुमार (38) ने कहा, 'मैं कृष्णा नगर में कुछ दुकानों पर गया, लेकिन वहां लगभग 400-500 लोगों की लंबी कतारें थीं. इधर, दुकान नहीं खुली हैं और पुलिसकर्मी हमें वापस भेज रहे हैं. यह उचित नहीं है. सरकार ने इतनी कीमत बढ़ा दी है और फिर भी कोई इसे खरीदने की कोशिश करता है, तो भी यह नहीं मिलती है.'
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