राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने NEET को लेकर अध्यादेश पर कानूनी सलाह मांगी है। साथ ही इस अध्यादेश पर दस्तखत करने से पहले उन्होंने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। सोमवार को इस सिलसिले में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से पूछा था कि आखिर क्यों सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से सहमति जताने के बाद अब सरकार इस मामले में पलटी मार रही है। दरअसल यह एक तरह की प्रक्रिया है जिसके तहत संबंधित मंत्री को राष्ट्रपति को ब्यौरा देना होता है कि अध्यादेश को लाने की जरूरत क्यों पड़ी। शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में पास किए गए अध्यादेश के अनुसार नीट के जरिए सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के संबंध में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक साल के लिए रोक लग जाएगी।
'नीट को लेकर कोई असमंजस नहीं'
हालांकि प्रबंधन कोटे के तहत केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों और निजी संस्थानों में प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले छात्रों का एडमिशन नीट के जरिए ही होगा। एनडीटीवी से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर कोई असमंजस की स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा, नीट को लागू कर दिया गया है। लेकिन राज्य सरकारों की कुछ वैध चिंताएं हैं। उन्होंने आगे बताया राज्य सरकारों की मुख्य तौर पर तीन चिंताएं हैं - 1. उन राज्यों में चल रही परीक्षाएं, 2. पाठ्यक्रम की समानता और 3. नीट परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा में लिखने का विकल्प।
AAP ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
नड्डा ने कहा, यही चिंताएं सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों ने भी जाहिर की हैं और इनका समाधान निकाला जा रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने ही नीट को एक साल के लिए टालने पर केंद्र सरकार पर हमाला बोला है। उनका आरोप है कि छात्रों की सोचने की बजाय निजी मेडिकल कॉलेजों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। नीट-2 की परीक्षा 24 जुलाई को निर्धारित है। अगर राष्ट्रपति अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो यह स्थगित हो सकती है। एक मई को हुए नीट-1 में करीब 6.5 लाख छात्रों ने परीक्षा दी है।
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