नई दिल्ली:
देशभर में मशहूर इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलेरी साइंसेज़ (Institute of Liver and Biliary Sciences - ILBS) को अब देश के पहले नागरिक का साथ और समर्थन मिला है। राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संस्थान को स्थापित सिर्फ छह साल हुए हैं और आज यह देश के अग्रणी अस्पताल के पायदान पर खड़ा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान ने इस बात का आदर्श बनकर दिखाया है कि देश में मेडिकल सुविधा कैसी होनी चाहिए। इसके साथ ही इन्होंने देश को बेस्ट डॉक्टर भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल ने हर देशवासी को गर्व करने का मौका दिया है। राष्ट्रपति के मुताबिक, ILBS ने स्वास्थ्य सेवाओं और आधुनिक रिसर्च के मामले में देश का नाम रोशन किया है।
राष्ट्रपति ने कहा, देश में बदलते वक्त में लिवर की बीमारियां और हैपेटाइटिस बड़ा खतरा बन चुके हैं, और इसके खिलाफ मुहिम शुरू करने वाले संस्थान की उपलब्धियां विश्वस्तरीय हैं। इतने कम वक्त में 285 लिवर ट्रांसप्लांट कर डालना बताता है कि इस अस्पताल ने छह साल में कितनी तरक्की कर ली है। डॉ मुखर्जी ने इसके लिए अस्पताल के डायरेक्टर डॉ शिवकुमार सरीन को धन्यवाद दिया।
ज़रूरत पड़ेगी, तो कानून तक बदल देंगे : मनीष सिसोदिया
इंस्टीट्यूट के छठे स्थापना दिवस और तीसरे दीक्षांत समारोह के मौके पर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाज़े जा चुके वैज्ञानिक डॉ सीएनआर राव के साथ-साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ILBS की वजह से वह खुद को आश्वस्त महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अस्पताल के डॉक्टरों को विश्वास दिलाती है कि अस्पताल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अगर कानून बदलने की ज़रूरत पडेगी, तो वह भी किया जाएगा, और सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगी।
इस मौके पर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डा शिवकुमार सरीन ने बताया कि पिछले साल इंस्टीट्यूट ने करीब 87,000 मरीज़ों का इलाज किया, जिनमें 12,000 इमरजेंसी केस थे। इसके अलावा इंस्टीट्यूट में सालभर में 101 सफल लिवर ट्रांसप्लांट भी किए गए। उन्होंने बताया कि ILBS दुनिया का अकेला लिवर अस्पताल है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का सेंटर है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस संस्थान ने इस बात का आदर्श बनकर दिखाया है कि देश में मेडिकल सुविधा कैसी होनी चाहिए। इसके साथ ही इन्होंने देश को बेस्ट डॉक्टर भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल ने हर देशवासी को गर्व करने का मौका दिया है। राष्ट्रपति के मुताबिक, ILBS ने स्वास्थ्य सेवाओं और आधुनिक रिसर्च के मामले में देश का नाम रोशन किया है।
राष्ट्रपति ने कहा, देश में बदलते वक्त में लिवर की बीमारियां और हैपेटाइटिस बड़ा खतरा बन चुके हैं, और इसके खिलाफ मुहिम शुरू करने वाले संस्थान की उपलब्धियां विश्वस्तरीय हैं। इतने कम वक्त में 285 लिवर ट्रांसप्लांट कर डालना बताता है कि इस अस्पताल ने छह साल में कितनी तरक्की कर ली है। डॉ मुखर्जी ने इसके लिए अस्पताल के डायरेक्टर डॉ शिवकुमार सरीन को धन्यवाद दिया।
ज़रूरत पड़ेगी, तो कानून तक बदल देंगे : मनीष सिसोदिया
इंस्टीट्यूट के छठे स्थापना दिवस और तीसरे दीक्षांत समारोह के मौके पर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से नवाज़े जा चुके वैज्ञानिक डॉ सीएनआर राव के साथ-साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ILBS की वजह से वह खुद को आश्वस्त महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अस्पताल के डॉक्टरों को विश्वास दिलाती है कि अस्पताल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अगर कानून बदलने की ज़रूरत पडेगी, तो वह भी किया जाएगा, और सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगी।
इस मौके पर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डा शिवकुमार सरीन ने बताया कि पिछले साल इंस्टीट्यूट ने करीब 87,000 मरीज़ों का इलाज किया, जिनमें 12,000 इमरजेंसी केस थे। इसके अलावा इंस्टीट्यूट में सालभर में 101 सफल लिवर ट्रांसप्लांट भी किए गए। उन्होंने बताया कि ILBS दुनिया का अकेला लिवर अस्पताल है, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का सेंटर है।
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