नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर देश के बहुलतावादी चरित्र के संरक्षण की बात करते हुए कहा कि भारत अपनी समावेशी और सहिष्णुता की शक्ति के कारण फला-फूला है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक अरब 30 लाख लोग रहते हैं, 122 भाषाएं बोली जाती हैं और लोग कई धर्मों का पालन करते हैं। देश की इस विविधता का संरक्षण होना चाहिए।
पीएम मोदी ने किया राष्ट्रपति की बातों का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति की टिप्पणियों का समर्थन किया और लोगों से नेताओं तथा असामाजिक तत्वों द्वारा खड़े किए जा रहे हंगामों को नजरअंदाज करने को कहा है। बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ पिछले तीन हफ्तों में कई बार बोल चुके राष्ट्रपति दिल्ली हाईकोर्ट के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश एच. एल. दत्तू, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए।
बहुलतावाद को किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाए
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारा देश समावेशी शाक्ति और सहिष्णुता के कारण फला-फूला है। हमारे बहुलतावादी चरित्र ने समय की कई परीक्षाएं पास की हैं। हमारी पुरातन सभ्यता ने सदियों से हमारी विविधता को समाहित किया हुआ है।' उन्होंने कहा, 'बहुलतावाद हमारी सामूहिक शक्ति है, जिसे किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए। हमारे संविधान के विभिन्न प्रावधानों में इसकी झलक मिलती है।'
असहमति की स्वीकार्यता पर सवाल
दादरी और उसके बाद हुई वैसी ही घटनाओं की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति ने सवाल किया कि असहमति की स्वीकार्यता और उस पर सहिष्णुता देश में इतनी कम हो गई है। उन्होंने 19 अक्तूबर को पश्चिम बंगाल के सूरी कस्बे में अपने गृहनगर में यह सवाल किया था। इसके बाद उन्होंने लोगों से सहिष्णु बनने और असहमति का सम्मान करते हुए विविधताओं को स्वीकार करने की अपील की थी। (एजेंसी इनपुट के साथ)