यह ख़बर 12 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पहले पानी के लिए खून बहा, अब खून पर राजनीति

खास बातें

  • पुणे एक्सप्रेसवे पर किसानों पर गोली चलाने के मामले में बीजेपी ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार के किसी बड़े मंत्री के इशारे पर पुलिस ने फायरिंग की।
Mumbai:

दो दिन पहले पुणे एक्सप्रेसवे पर किसानों पर गोली चलाने के मामले पर अब राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार के किसी बड़े मंत्री के इशारे पर पुलिस ने फायरिंग की। महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष धीर मुनघंटीवार ने कहा है कि पुणे ग्रामीण के एसपी संदीप कार्णिक ने गोली चलाने से पहले इसी मंत्री से फोन पर बात की थी। इसके बाद पुलिस ने सारे नियम तोड़ते हुए विरोध कर रहे किसानों की पीठ के पीछे से फायरिंग की। हालांकि राज्य बीजेपी अध्यक्ष ने इस मंत्री के नाम का खुलासा नहीं किया है। बीजेपी ने मांग की है कि एसपी कार्णिक के कॉल रिकॉर्ड्स की जांच हो, ताकी सच्चाई सामने आ सके। बीजेपी ने एसपी संदीप कार्णिक को बर्खास्त करने की भी मांग की है। क्या मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे पर आंदोलन कर रहे किसानों में से एक मोरेश्वर साठे को पुलिस ने एनकाउंटर में मार डाला? शिवसेना ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने पहले मोरेश्वर को पकड़ा, फिर उसे गोली मार दी। लेकिन पुलिस मामले को झूठा बता रही है। उसका कहना है कि उन्होंने मोरेश्वर को पकड़ा जरूर था, लेकिन हंगामे के बीच वह उनकी गिरफ्त से छूटकर भाग खड़ा हुआ और बाद में फायरिंग के दौरान उसकी मौत हुई। इस आंदोलन में जिन किसानों की मौत हुई है, सरकार ने उनके परिजनों को एक लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। लेकिन पावना डैम के आसपास रहने वाले किसानों ने साफ कर दिया है कि उन्हें मुआवजा नहीं चाहिए। वैसे मुआवजे के मुद्दे पर राजनीति भी शुरु हो गई है। बीजेपी ने भी मारे गए किसानों के परिजनों को 5 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। लेकिन आंदोलनकारी किसानों ने साफ किया है कि उनकी लड़ाई पैसों के लिए नहीं बल्कि पानी के लिए है और वे किसी भी कीमत पर पावना का पानी पिंपरी-चिंचवाड़ नहीं जाने देंगे। किसान लंबे समय से इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं। आंदोलनकारियों को डर है कि इससे उनकी खेती प्रभावित होगी। 9 अगस्त को मुंबई पुणे एक्सप्रेसवे पर किसानों के आंदोलन के दौरान गाड़ियों पर गुस्सा निकालना छह पुलिस कांस्टेबलों को भारी पड़ा है। इन पुलिस कांस्टेबलों को पुणे रूरल एसपी के आदेश पर सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन सवाल है कि गाड़ी पर गुस्सा निकालने वाले कांस्टेबलों पर तो पुलिस ने कार्रवाई कर दी, लेकिन निहत्थे किसानों पर गोली चलाने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी।


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