फिल्म 'पद्मावत' को लेकर एनडीए के भीतर टकराव के हालात बने

फिल्म को लेकर बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और एनडीए के घटक दल जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी आमने-सामने आए

फिल्म 'पद्मावत' को लेकर एनडीए के भीतर टकराव के हालात बने

जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के बयान को लेकर उन्हें किताब 'पद्मावत' पढ़ने की सलाह दी है.

खास बातें

  • कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह 'पद्मावत' मामले में वीके सिंह के करीब
  • त्यागी ने कहा- नेता 'पद्मावत' किताब को पढ़ें, जो सिर्फ काल्पनिक इतिहास पर
  • एनसीपी फिल्म 'पद्मावत' का मसला बजट सत्र में उठाएगी
नई दिल्ली:

फिल्म 'पद्मावत' के मामले में एनडीए के भीतर का टकराव सामने आ गया है. इस मामले में बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और एनडीए के घटक दल जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी आमने-सामने आ गए हैं.

बुधवार को वीके सिंह ने पद्मावती विवाद पर कहा था, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतिहास को तोड़-फोड़ करने की इज़ाज़त नहीं देती. जो विरोध कर रहे हैं उनके साथ बैठकर इसको सुलझाया जाए. जब चीज़ें सहमति से नहीं होती हैं, तो फिर उसमें गड़बड़ होती है."

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वीके सिंह ने फिल्म पर सवाल खड़े किए तो जेडीयू ने उन्हें किताब पढ़ने की नसीहत दी. जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, "केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का बयान मैंने देखा है. मैं चाहता हूं कि नेता 'पद्मावत' किताब को पढ़ें जो सिर्फ एक काल्पनिक इतिहास पर ही आधारित है. वे (वीके सिंह) सिर्फ क्षत्रिय समुदाय के ही नहीं, देश के भी एक महत्वपूर्ण नेता हैं. उनके बयानों से कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए."

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दरअसल अब ये मामला सड़क से संसद तक पहुंच सकता है. 29 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में इस विवाद पर हंगामे के आसार हैं. इस सबके बीच एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा है कि उनकी पार्टी यह मसला बजट सत्र में उठाएगी. दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह इस मामले में वीके सिंह के करीब दिख रहे हैं. गुरुवार को दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसी भी धर्म, जाति या इतिहास पर तथ्यों से हटकर किसी भी तरह की फिल्म नहीं बननी चाहिए.

VIDEO : किसी की भावनाओं को आहत नहीं करती फिल्म

सेंसर बोर्ड की हरी झंडी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद 'पद्मावत' को लेकर जो माहौल है, उस पर केंद्र सरकार की चुप्पी विपक्ष के लिए एक मुद्दा है. अब 29 जनवरी से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में सरकार को इस संवेदनशील मसले पर विपक्ष के सवालों का जवाब देना पड़ सकता है.


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