यह ख़बर 17 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

रामदेव समर्थकों पर लाठीचार्ज नहीं : दिल्ली पुलिस

खास बातें

  • भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे बाबा रामदेव को दिल्ली के रामलीला मैदान से हटाने के लिए की गई कार्रवाई को दिल्ली पुलिस ने जायज ठहराया है।
New Delhi:

दिल्ली के रामलीला मैदान में 4 और 5 जून की रात को हुई कार्रवाई को दिल्ली पुलिस ने सही ठहराया है। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि रामलीला मैदान बाबा रामदेव के संगठन को सिर्फ योग शिविर के लिए दी गई थी, न कि किसी और काम के लिए। सुप्रीम कोर्ट ने 6 जून को पुलिस को नोटिस देकर दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था। पुलिस का दावा है कि वहां लाठीचार्ज नहीं किया गया और न ही सीनियर अफसरों ने ऐसा कोई आदेश दिया। पुलिस ने तब बल प्रयोग किया, जब रामदेव के समर्थकों ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने यह भी कहा है कि हालात ज्यादा तब बिगड़े, जब रामदेव भीड़ के बीच जाकर लोगों को उकसाने लगे। इसके बाद भगदड़ मची और कई लोग घायल हो गए। हलफनामे में आगे कहा गया है कि मैदान में केवल 5,000 लोगों के एकत्र होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन 4 और 5 जून की मध्य रात्रि को 20,000 से अधिक लोग वहां एकत्र थे। पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया है कि जब रामदेव के समर्थकों ने पुलिस कर्मियों पर पथराव शुरू किया, तब उसने आंसू गैस के गोले छोड़े। कोर्ट ने रामदेव के समर्थकों के खिलाफ आधी रात को की गई पुलिस कार्रवाई की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह सचिव, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने उनसे दो सप्ताह के अंदर इस बारे में जवाब मांगा था कि किन परिस्थितियों के चलते पुलिस को यह कार्रवाई करनी पड़ी। पुलिस ने बताया कि रामदेव के समर्थकों के खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं किया गया। उसने लाठीचार्ज किए जाने के आरोपों को भी खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने रामलीला मैदान में एकत्र बेकसूर लोगों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किए जाने तथा पुलिस की ज्यादती को लेकर गहरी चिंता जाहिर की थी। इसके अलावा कोर्ट ने राष्ट्रीय समाचार पत्रों में प्रकाशित उन खबरों और लेखों पर भी ध्यान दिया, जिनमें कहा गया था कि बेकसूर लोगों के खिलाफ क्रूरता की गई।(इनपुट भाषा से भी)


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