यह ख़बर 25 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

26/11 का 'देसी गद्दार' अबू हमज़ा गिरफ्तार

खास बातें

  • अबू हमजा ने पूछताछ में माना है कि वह भारतीय नागरिक है और जकी उर रहमान लखवी के साथ काम करने की बात भी उसने कबूल की है। उसने बताया है कि मुंबई हमले के समय वह कंट्रोल रूम में मौजूद था।
नई दिल्ली:

तीन साल से पीछा कर रहीं सुरक्षा एजेंसियों को आखिरकार लश्कर-ए-तैयबा के कथित आतंकवादी और वर्ष 2008 में मुम्बई हमले को अंजाम देने वाले 10 आतंकवादियों को हिन्दी सिखाने वाले सैयद जबीउद्दीन उर्फ अबू हमजा को गिरफ्तार करने में सफलता मिल गई। महाराष्ट्र में बीड़ जिले के गोराई निवासी अंसारी उर्फ अबू जिन्दल को सऊदी अरब से भारत डिपोर्ट किया गया है।

अबू हमजा ने पूछताछ में माना है कि वह भारतीय नागरिक है और जकी उर रहमान लखवी के साथ काम करने की बात भी उसने कबूल की है। उसने बताया है कि मुंबई हमले के समय वह कंट्रोल रूम में मौजूद था। वैसे, मुंबई हमला मामले में  एनआईए उससे पूछताछ करेगी। इसके साथ बेंगलुरु धमाके में भी उसका हाथ बताया जा रहा है।

हमजा की गिरफ्तारी पर विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने दिल्ली पुलिस की सराहना की है। कृष्णा ने कहा कि जांच के बाद मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि भारत के आग्रह पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी जारी किया था जिसमें वह हथियारों, विस्फोटकों के इस्तेमाल और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोपी था।

सूत्रों ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी के साथ मुम्बई हमले के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों और पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के बीच बातचीत के दौरान रिकॉर्ड की गई रहस्यमयी आवाज की पहचान हो गई है।

जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार अंसारी ने लश्कर आतंकियों से मीडिया को यह संदेश देने के लिए नरीमन हाउस पर हमला करने को कहा था कि ‘‘ये तो सिर्फ ट्रेलर है और असल फिल्म बाकी है।’’ अधिकारियों ने बताया कि आवाज अंसारी की थी और इसके बाद उसकी गतिविधियों पर नजर रखी गई तथा आखिरकार उसे एक खाड़ी देश में पकड़ लिया गया।

पकड़ी गई बातचीत में अंसारी को ‘‘प्रशासन’’ जैसे कुछ खास हिन्दी शब्दों का इस्तेमाल करते सुना गया था और वह आतंकवादियों को अपनी पाकिस्तानी पहचान छिपाने को कह रहा था तथा निर्देश दे रहा था कि वे खुद को हैदराबाद के टोली चौक से संबंधित डेक्कन मुजाहिदीन का सदस्य बताएं।

विशेष अदालत के समक्ष उसकी मौजूदगी का उल्लेख मुम्बई हमलों में जीवित पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी आमिर अजमल कसाब ने भी किया था। कसाब ने अदालत को बताया था कि अबू जिन्दल नाम के एक व्यक्ति ने 10 आतंकवादियों को हिन्दी बोलना सिखाया था।

वर्ष 2005 से लापता जबीउद्दीन लश्कर-ए-तैयबा का तब से चहेता हो गया था जब 2002 के गुजरात दंगों के बाद प्रतिबंधित सिमी ने उसका ब्रेन वाश कर दिया। उसने बीड़ में भारतीय तकनीकी संस्थान (आईटीआई) से प्रशिक्षण लिया था। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने जबीउद्दीन के मामले का अध्ययन करने के लिए बहुत से गिरफ्तार आतंकवादियों से पूछताछ की थी जिसमें पता चला कि वह पाकिस्तान के कराची और पाक अधिकृत कश्मीर के आतंकी शिविरों में है तथा वह महाराष्ट्र में हमले करने की आतंकी समूह की योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कैसे पकड़ा गया

पाकिस्तान में बैठकर मुंबई के हमलावरों को निर्देश देने वाला अबू हमज़ा यूं ही नहीं पकड़ा गया। पुलिस की एक पूरी टीम सऊदी अरब से उसके डिपोर्टेशन में लगी थी।

तीन लोगों की इस टीम में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के दो अफ़सर थे और एक आईबी का अफसर था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां 15 महीने से इस काम में लगी हुई थीं।

उन्होंने सऊदी अरब के सामने साबित किया है कि वह भारतीय नागरिक है और पुलिस को 26/11 सहित कई मामलों में उसकी तलाश है। अबू हमज़ा के डीएनए और ख़ून के नमूने भी उन्हें दिए गए। इतना सब करने के बाद सऊदी अरब ने हमज़ा को भारत के हवाले किया।

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सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक जामा मस्जिद मामले में पकड़े गए 12 आतंकियों से अबू हमज़ा का सुराग मिला था। बताया गया कि उसके कम से कम दस नाम हैं। वह सऊदी अरब में लश्कर के लिए फंड जुटा रहा था और भर्ती कर रहा था।