हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश वाजपेयी का बुधवार तड़के राजधानी के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि कैलाश वाजपेयी का तड़के तीन बजे राजधानी में साकेत के मैक्स अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
तबियत बिगड़ने पर उन्हें मंगलवार रात अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वाजपेयी के परिवार में पत्नी और एक बेटी हैं। उनका बुधवार शाम को लोदी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उन्हें उनकी बेटी अनन्या ने मुखाग्नि दी।
वाजपेयी को अंतिम विदाई देने के लिए कपिला वात्सायन, लीलाधर मंडलोई, आशीष नंदी, मणिशंकर अय्यर और के. श्रीनिवासराव सहित साहित्य और राजनीतिक जगत की विभिन्न हस्तियां एवं उनके मित्र मौजूद थे। वाजपेयी का जन्म 1936 में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में हुआ था। लखनऊ विश्वविद्यालय से वाचस्पति की उपाधि हासिल करने वाले वाजपेयी की 34 पुस्तकें प्रकाशित हुई, जिनमें ‘हवा में हस्ताक्षर’, ‘हिन्दी कविता में शिल्प’, ‘संक्रांत’, ‘देहांत से हटकर’, ‘तीसरा अंधेरा’ और ‘सूफीनामा’ प्रमुख है।
इसके अलावा उनकी रचनाएं स्पेनिश, अंग्रेजी और जर्मन में भी अनुवादित हुई हैं। साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘वाजपेयी के निधन से हिन्दी कविता को गंभीर क्षति हुई है। वह ‘दार्शनिक मिजाज’ के कवि थे, जिन पर भारतीय अद्वैतवाद और बौद्धदर्शन का गहरा प्रभाव लक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सातवें दशक के विद्रोही कवि रहे वाजपेयी ने कविता के शिल्प में भी परिवर्तन किया था।
काव्यानुभव और काव्यभाषा दोनों दृष्टि से ‘उनकी कविता’ आधुनिक काव्य के बीच उल्लेखनीय मानी जा सकती है।
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