
नई दिल्ली:
एफडीआई मामले पर जारी गतिरोध को खत्म करने के उद्देश्य से भाजपा नेताओं को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए रात्रिभोज में इस मामले पर कोई हल नहीं निकला। मुख्य विपक्षी दल ने इस बात पर जोर दिया कि संसद में मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत ही इस मुद्दे पर चर्चा की जाए।
इस रात्रिभोज में भाजपा के संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में उनके समकक्ष अरुण जेटली शामिल हुए। ससंदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ और वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी इस अवसर पर मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि रात्रिभोज में एफडीआई मसले पर जारी गतिरोध का हल निकालने में असफलता मिली क्योंकि भाजपा अपने रुख पर अड़ी रही। इससे शुक्रवार को भी संसद में गतिरोध का दौर जारी रहने की आशंका है।
सरकार का कहना है कि चूंकि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी देने का फैसला एक कार्यकारी आदेश के तहत लिया गया, इसलिए इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की जा सकती है लेकिन इसपर मतदान नहीं कराया जा सकता। लेकिन भाजपा और वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दल सरकार के रुख से इत्तेफाक नहीं रखते और उनका मानना है कि सरकार ने संसद के दोनो सदनों में खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर फैसला सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद लिए जाने का भरोसा दिया था जिसे उसने तोड़ दिया। इस वजह से ये दल अब एफडीआई के मुद्दे पर संसद में चर्चा और मत विभाजन चाहते हैं।
इस रात्रिभोज में भाजपा के संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में उनके समकक्ष अरुण जेटली शामिल हुए। ससंदीय मामलों के मंत्री कमलनाथ और वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी इस अवसर पर मौजूद थे।
सूत्रों ने बताया कि रात्रिभोज में एफडीआई मसले पर जारी गतिरोध का हल निकालने में असफलता मिली क्योंकि भाजपा अपने रुख पर अड़ी रही। इससे शुक्रवार को भी संसद में गतिरोध का दौर जारी रहने की आशंका है।
सरकार का कहना है कि चूंकि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी देने का फैसला एक कार्यकारी आदेश के तहत लिया गया, इसलिए इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की जा सकती है लेकिन इसपर मतदान नहीं कराया जा सकता। लेकिन भाजपा और वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दल सरकार के रुख से इत्तेफाक नहीं रखते और उनका मानना है कि सरकार ने संसद के दोनो सदनों में खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर फैसला सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद लिए जाने का भरोसा दिया था जिसे उसने तोड़ दिया। इस वजह से ये दल अब एफडीआई के मुद्दे पर संसद में चर्चा और मत विभाजन चाहते हैं।
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