नई दिल्ली:
नाराज चल रहे राकांपा प्रमुख शरद पवार से बातचीत करने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह बहुत ही सम्मानित सहयोगी हैं और उनका ज्ञान, बुद्धिमत्ता एवं अनुभव सरकार के लिए अत्यधिक उपयोगी हैं।
कैबिनेट बैठक में गुरुवार को पवार और उनके पार्टी सहयोगी प्रफुल्ल पटेल शामिल नहीं हुए थे। सरकार में ‘दूसरे नंबर पर’ नहीं स्वीकार किए जाने से पवार सभवत: नाराज चल रहे हैं। सिंह ने रात को ही पवार से बात की।
सिंह ने बताया, श्री शरद पवार बहुत मूल्यवान सहयोगी हैं जिनका ज्ञान, अनुभव और बुद्धिमत्ता हमारी सरकार के लिए अत्यधिक उपयोगी है। पवार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री का बयान आया। राकांपा ने कहा है कि सरकार और गठबंधन के कामकाज को लेकर उसके कुछ गंभीर मुद्दे हैं।
वहीं एनसीपी ने सरकार और गठबंधन के कामकाज को लेकर गंभीर ऐतराज होने की बात कबूली। हालांकि वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों- शरद पवार तथा प्रफुल्ल पटेल के इस्तीफे की खबरों को लेकर स्थिति अस्पष्ट रही।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में नंबर दो का ओहदा नहीं दिए जाने से पवार के नाराज होने की खबरों को बेतुका बताते हुए पटेल ने कहा कि पार्टी ने प्रधानमंत्री और सोनिया के साथ बिल्कुल अगल विषयों को उठाया है और पार्टी अंतत: क्या फैसला करती है, यह सोमवार को उसकी बैठक के बाद ही बताया जाएगा।
पटेल ने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद कहा, हम कुछ चीजों को लेकर नाखुश हैं, जिन्हें पवार ने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से निजी मुलाकातों में उठाया। जब पटेल से पूछा गया कि क्या उन्होंने और पवार ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है, तो भारी उद्योग मंत्री ने कहा, अभी तक हमने कोई औपचारिक इस्तीफा नहीं दिया है...मुद्दा इस्तीफा नहीं है...जब तक कि मंजूर नहीं हो जाता...हमने एक संदेश भेजा है।
अनबन के कारणों को स्पष्ट नहीं बताते हुए उन्होंने कहा, हमारे मुद्दे हैं- सरकार के कामकाज का तौर-तरीका, यूपीए के कामकाज का तरीका और व्यापक गठबंधन के कामकाज का तरीका। पटेल ने कहा कि यूपीए-2 के कार्यकाल के अब आखिरी दो साल हैं और एनसीपी चाहती है कि सरकार और अधिक निर्णायक रुख अख्तियार करे और देश की जनता के समक्ष मौजूदा मुद्दों पर और अधिक प्रतिबद्धता दर्शाए। उन्होंने कहा, हमारे सामने कुछ मुद्दे हैं, जिन पर हम नई दिशा चाहते हैं।
प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर इस तरह की अटकलों को हवा देने का आरोप लगाया कि पवार दूसरे नंबर का स्थान नहीं मिलने से निराश हैं। आज भी मीडिया में इस तरह की खबरें फैलाई जा रही हैं कि पवार की कुछ मांगें मान ली गई हैं और कुछ को पूरा नहीं किया जा सकता तथा उन्हें नंबर दो का ओहदा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि एनसीपी सदस्यों की संख्या ज्यादा नहीं है।
उन्होंने कहा, कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा असहज स्थिति पैदा करने के लिए अनावश्यक और अनुचित टिप्पणियां की जा रहीं हैं। पटेल ने कहा, पवार इतने छोटे नेता नहीं हैं, जो इस तरह का ओछा मुद्दा उठाएंगे। हमारे विषय कहीं बड़े हैं। नंबर दो का मुद्दा अनावश्यक तौर पर उछाला गया है। पवार अपने कद के कारण (संसद में) सोनिया के पास वाली सीट पर बैठते हैं और (मंत्रिमंडल की बैठकों में) प्रणब मुखर्जी के बगल में बैठा करते थे।
एनसीपी नेता ने कहा, उन्होंने (पवार ने) ऐसी कोई मांग नहीं की थी। उन्हें संख्या के लिहाज से यह ओहदा नहीं दिया गया। अगर यही तर्क है तो यूपीए-1 में भी एनसीपी कम संख्या में थी। यूपीए और कांग्रेस नेतृत्व को पता है कि अपने कद के कारण वह अधिक महत्वपूर्ण हैं। पटेल ने कहा, दरअसल जो लोग यह मुद्दा उठा रहे हैं, वे खुद छोटे-मोटे लोग हैं। एनसीपी इतनी क्षुद्र पार्टी नहीं कि इस बात को मुद्दा बनाए कि हम सरकार में बने रहेंगे या नहीं।
कैबिनेट बैठक में गुरुवार को पवार और उनके पार्टी सहयोगी प्रफुल्ल पटेल शामिल नहीं हुए थे। सरकार में ‘दूसरे नंबर पर’ नहीं स्वीकार किए जाने से पवार सभवत: नाराज चल रहे हैं। सिंह ने रात को ही पवार से बात की।
सिंह ने बताया, श्री शरद पवार बहुत मूल्यवान सहयोगी हैं जिनका ज्ञान, अनुभव और बुद्धिमत्ता हमारी सरकार के लिए अत्यधिक उपयोगी है। पवार की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री का बयान आया। राकांपा ने कहा है कि सरकार और गठबंधन के कामकाज को लेकर उसके कुछ गंभीर मुद्दे हैं।
वहीं एनसीपी ने सरकार और गठबंधन के कामकाज को लेकर गंभीर ऐतराज होने की बात कबूली। हालांकि वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों- शरद पवार तथा प्रफुल्ल पटेल के इस्तीफे की खबरों को लेकर स्थिति अस्पष्ट रही।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में नंबर दो का ओहदा नहीं दिए जाने से पवार के नाराज होने की खबरों को बेतुका बताते हुए पटेल ने कहा कि पार्टी ने प्रधानमंत्री और सोनिया के साथ बिल्कुल अगल विषयों को उठाया है और पार्टी अंतत: क्या फैसला करती है, यह सोमवार को उसकी बैठक के बाद ही बताया जाएगा।
पटेल ने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद कहा, हम कुछ चीजों को लेकर नाखुश हैं, जिन्हें पवार ने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी से निजी मुलाकातों में उठाया। जब पटेल से पूछा गया कि क्या उन्होंने और पवार ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है, तो भारी उद्योग मंत्री ने कहा, अभी तक हमने कोई औपचारिक इस्तीफा नहीं दिया है...मुद्दा इस्तीफा नहीं है...जब तक कि मंजूर नहीं हो जाता...हमने एक संदेश भेजा है।
अनबन के कारणों को स्पष्ट नहीं बताते हुए उन्होंने कहा, हमारे मुद्दे हैं- सरकार के कामकाज का तौर-तरीका, यूपीए के कामकाज का तरीका और व्यापक गठबंधन के कामकाज का तरीका। पटेल ने कहा कि यूपीए-2 के कार्यकाल के अब आखिरी दो साल हैं और एनसीपी चाहती है कि सरकार और अधिक निर्णायक रुख अख्तियार करे और देश की जनता के समक्ष मौजूदा मुद्दों पर और अधिक प्रतिबद्धता दर्शाए। उन्होंने कहा, हमारे सामने कुछ मुद्दे हैं, जिन पर हम नई दिशा चाहते हैं।
प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर इस तरह की अटकलों को हवा देने का आरोप लगाया कि पवार दूसरे नंबर का स्थान नहीं मिलने से निराश हैं। आज भी मीडिया में इस तरह की खबरें फैलाई जा रही हैं कि पवार की कुछ मांगें मान ली गई हैं और कुछ को पूरा नहीं किया जा सकता तथा उन्हें नंबर दो का ओहदा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि एनसीपी सदस्यों की संख्या ज्यादा नहीं है।
उन्होंने कहा, कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा असहज स्थिति पैदा करने के लिए अनावश्यक और अनुचित टिप्पणियां की जा रहीं हैं। पटेल ने कहा, पवार इतने छोटे नेता नहीं हैं, जो इस तरह का ओछा मुद्दा उठाएंगे। हमारे विषय कहीं बड़े हैं। नंबर दो का मुद्दा अनावश्यक तौर पर उछाला गया है। पवार अपने कद के कारण (संसद में) सोनिया के पास वाली सीट पर बैठते हैं और (मंत्रिमंडल की बैठकों में) प्रणब मुखर्जी के बगल में बैठा करते थे।
एनसीपी नेता ने कहा, उन्होंने (पवार ने) ऐसी कोई मांग नहीं की थी। उन्हें संख्या के लिहाज से यह ओहदा नहीं दिया गया। अगर यही तर्क है तो यूपीए-1 में भी एनसीपी कम संख्या में थी। यूपीए और कांग्रेस नेतृत्व को पता है कि अपने कद के कारण वह अधिक महत्वपूर्ण हैं। पटेल ने कहा, दरअसल जो लोग यह मुद्दा उठा रहे हैं, वे खुद छोटे-मोटे लोग हैं। एनसीपी इतनी क्षुद्र पार्टी नहीं कि इस बात को मुद्दा बनाए कि हम सरकार में बने रहेंगे या नहीं।
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