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This Article is From May 08, 2021

"भारत ने कोरोना पर प्रारंभिक दौर में मिली बढ़त गंवा दी," मेडिकल जर्नल लैंसेट की प्रतिक्रिया

पत्रिका ने कहा- संकट पर काबू पाने में भारत की सफलता पीएम मोदी के प्रशासन द्वारा "अपनी गलतियों को स्वीकारने पर निर्भर करेगी

पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका 'द लैंसेट' (The Lancet ) ने शनिवार को अपने एक संपादकीय में कहा है कि भारत को कोविड-19 (COVID-19) को नियंत्रित करने में अपनी शुरुआती सफलताओं के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार ने "आत्म-उकसावे वाली राष्ट्रीय तबाही" की. कोरोनो वायरस महामारी से निपटने में सरकार की अत्यधिक आलोचना के बाद, इस व्यापक रूप से सम्मानित प्रकाशन ने कहा कि संकट पर काबू पाने में भारत की सफलता पीएम मोदी के प्रशासन द्वारा "अपनी गलतियों को स्वीकारने पर निर्भर करेगी.

पत्रिका ने कहा कि "संकट के दौरान आलोचना और खुली चर्चा के प्रयास में (पीएम) मोदी का कामकाज माफ करने योग्य नहीं है."  लैंसेट के संपादकीय में कहा गया है कि "भारत ने COVID-19 को नियंत्रित करने में अपनी शुरुआती सफलताओं पर पानी फेर दिया. अप्रैल तक कई महीने गुजरने पर भी सरकार की COVID-19 टास्क फोर्स पूरी नहीं हुई थी. उस निर्णय के परिणाम आज हमारे सामने स्पष्ट हैं. भारत को अब जब संकट बढ़ रहा है, अपने प्रतिक्रिया बल का पुनर्गठन करना चाहिए." 

द लैंसेट ने कहा है कि "उस प्रयास की सफलता सरकार पर निर्भर करेगी कि वह अपनी गलतियों के लिए जिम्मेदार है. वह जिम्मेदार नेतृत्व और पारदर्शिता अपनाती है, और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को लागू करती है."

पत्रिका ने सरकार की उस धारणा को हवा कर दिया, जिसमें यह जताया जा रहा था कि भारत ने COVID-19 को कई महीनों तक कम मामलों के बाद हरा दिया था. जबकि दूसरी लहर के खतरों की बार-बार चेतावनी दी जाती रही और कोरोना नए स्ट्रेन भी उभरते गए.

संपादकीय टिप्पणी में कहा गया है कि मार्च के शुरू में COVID-19 के मामलों की दूसरी लहर शुरू होने से पहले, भारतीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने घोषणा की थी कि भारत महामारी के "एंडगेम" में था." 

लैंसेट ने कहा कि "व्यापक-संक्रमण के जोखिमों के बारे में चेतावनी के बावजूद, सरकार ने धार्मिक आयोजनों की अनुमति दी. देश भर के लाखों लोगों को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक रैलियों का आयोजन किया गया. इनमें COVID-19 के संक्रमण को रोकने के उपायों में कमी थी."

केंद्रीय स्तर पर भारत की टीकाकरण नीति को "पाखण्ड" और "अलग-थलग" बताते हुए, पत्रिका ने कहा कि सरकार ने राज्यों के साथ नीति में बदलाव पर चर्चा किए बिना अचानक बदलाव किया और दो प्रतिशत से कम जनसंख्या का टीकाकरण कर सकी. 

लैंसेट ने कहा कि "कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने महामारी को नियंत्रित करने की कोशिश करने की तुलना में ट्विटर पर आलोचना को हटाने पर अधिक ध्यान दिया है." पत्रिका ने लिखा है कि  "इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन का अनुमान है कि भारत में एक अगस्त तक कोरोना से 10 लाख लोगों की मौत हो जाएगी. यदि ऐसा होने वाला है तो मोदी सरकार इस आत्मघाती राष्ट्रीय आपदा की जिम्मेदार होगी." 

भारत में शनिवार को कोरोना से एक दिन में अब तक की सबसे अधिक मौतें हुईं. नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं जबकि कई राज्यों में सख्त लॉकडाउन है. 

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