प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज डीआरडीओ मुख्यालय में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की 84वीं जयंती समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम ने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की प्रतिमा का भी अनावरण किया। इस मौके पर बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ. अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले ही ‘राष्ट्ररत्न’ थे और उनकी जिंदगी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
पीएम ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से कहा कि अब्दुल कलाम की तरह ही हमें हमेशा नई-नई खोज करते रहना चाहिए। ऐसी खोज जो ना केवल रक्षा क्षेत्र से जुड़ी हो बल्कि आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बना सके। कलाम की कमी को भरना चुनौती है।
डॉ कलाम को याद करते हुए पीएम ने कहा कि कलाम को लोग दो वजह से याद करते हैं। एक उनके बाल और दूसरा उनके भीतर बसे एक बालक की वजह से। उनका जीवन एक बालक की तरह ही बेहद सहज और सरल था। एक वैज्ञानिक से उलट उनका जीवन हर पल जीवंत और मुस्काराता रहता था। वह अपनी जिंदगी में मौकों की बजाए चुनौतियों को तलाशते थे और जो भी चुनौती उन्होंने ली उसे वे एक संकल्प की तरह पूरा करते थे।
पीएम ने रक्षा क्षेत्र के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वह केवल सीमाओं की सुरक्षा पर ध्यान ना दें बल्कि साइबर-सिक्योरिटी पर भी ध्यान दें, क्योंकि पूरा विश्व साइबर-क्राइम से जूझ रहा है।
इस समारोह में पीएम के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और विज्ञान और तकनीकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन मौजूद थे। इस मौके पर डॉ. अब्दुल कलाम की याद में एक डाक टिकट भी जारी किया गया।
भारत रत्न डॉ अब्दुल कलाम 2002 में राष्ट्रपति बनने से पहले 1992 से 1997 तक डीआरडीओ के डीजी के पद पर तैनात थे। भारत के मिसाइल सिस्टम आईजीएमडीपी (यानि इंटीग्रेटेड गाईडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम) के वे प्रमुख थे। यही वजह है कि उन्हें मिसाइल-मैन' के नाम से भी जाना जाता है।
पीएम ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से कहा कि अब्दुल कलाम की तरह ही हमें हमेशा नई-नई खोज करते रहना चाहिए। ऐसी खोज जो ना केवल रक्षा क्षेत्र से जुड़ी हो बल्कि आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बना सके। कलाम की कमी को भरना चुनौती है।
डॉ कलाम को याद करते हुए पीएम ने कहा कि कलाम को लोग दो वजह से याद करते हैं। एक उनके बाल और दूसरा उनके भीतर बसे एक बालक की वजह से। उनका जीवन एक बालक की तरह ही बेहद सहज और सरल था। एक वैज्ञानिक से उलट उनका जीवन हर पल जीवंत और मुस्काराता रहता था। वह अपनी जिंदगी में मौकों की बजाए चुनौतियों को तलाशते थे और जो भी चुनौती उन्होंने ली उसे वे एक संकल्प की तरह पूरा करते थे।
पीएम ने रक्षा क्षेत्र के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वह केवल सीमाओं की सुरक्षा पर ध्यान ना दें बल्कि साइबर-सिक्योरिटी पर भी ध्यान दें, क्योंकि पूरा विश्व साइबर-क्राइम से जूझ रहा है।
इस समारोह में पीएम के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, शहरी विकास मंत्री वैंकेया नायडू, संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद और विज्ञान और तकनीकी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन मौजूद थे। इस मौके पर डॉ. अब्दुल कलाम की याद में एक डाक टिकट भी जारी किया गया।
भारत रत्न डॉ अब्दुल कलाम 2002 में राष्ट्रपति बनने से पहले 1992 से 1997 तक डीआरडीओ के डीजी के पद पर तैनात थे। भारत के मिसाइल सिस्टम आईजीएमडीपी (यानि इंटीग्रेटेड गाईडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम) के वे प्रमुख थे। यही वजह है कि उन्हें मिसाइल-मैन' के नाम से भी जाना जाता है।
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