यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भारत में प्राइवेट सेक्टर से मेडिकल शिक्षा में निवेश करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा, "क्या हमारे प्राइवेट सेक्टर बहुत बड़ी मात्रा में इस फील्ड में नहीं आ सकते, क्या हमारी राज्य सरकारें इस प्रकार के काम के लिए जमीन देने में उम्दा नीतियां नहीं बना सकते. ताकि अधिकतम डॉक्टर और पैरामेडिक्स हमारे यहां तैयार हों. इतना ही नहीं हम दुनिया की मांग पूरा कर सकते हैं."
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज हमारे बच्चे पढ़ने के लिए, खासकर मेडिकल शिक्षा के लिए दुनिया के छोटे छोटे देशों में जा रहे हैं, देश का अरबों खरबों रुपया बाहर जा रहा है."
आज हमारे बच्चे शिक्षा के लिए, विशेषकर मेडिकल शिक्षा के लिए दुनिया के छोटे-छोटे देशों में जा रहे हैं, वहां भाषा की समस्या भी है, तब भी जा रहे हैं।
— BJP (@BJP4India) February 26, 2022
भारत का अरबों-खरबों रुपया बाहर जा रहा है।
क्या हमारे प्राइवेट सेक्टर बड़ी मात्रा में इस क्षेत्र में नहीं आ सकते? pic.twitter.com/Bedbz0mZcx
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले सात सालों में केंद्र सरकार ने देश के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार और बदलाव किए हैं और अब उसकी कोशिश गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर पहुंचाने की है. आम बजट-2022 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आयोजित एक वेबिनार का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार का प्रयास आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के हर व्यक्ति तक किफायती इलाज पहुंचाने का है.
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स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह बजट पिछले साल से स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में सुधार और व्यापक बदलाव करने के हमारे प्रयासों को विस्तार देता है. हमने अपने स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में एक सर्वसमावेशी रुख अपनाया है.''
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य पर तो है ही, इसके साथ ही उसकी कोशिश आयुष जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में शोध को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में उसकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी है.
उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के हर व्यक्ति, हर हिस्से तक बेहतर और किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने पर भी सरकार का विशेष ध्यान है. हमारा प्रयास है कि गंभीर बीमारियों के इलाज की स्वास्थ्य सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर हों, जिला स्तर पर हों, गांवों के नजदीक हों.''
उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं से जुड़ी अवसंरचना की देखभाल और समय-समय पर उसमें सुधार भी जरूरी है और इसके लिए निजी और दूसरे क्षेत्र को भी ज्यादा ऊर्जा के साथ आगे आना होगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल नेटवर्क को सशक्त करने के लिए डेढ़ लाख ‘हेल्थ एंड वेलनेस' केंद्रों के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है और अभी तक 85,000 से अधिक केंद्रों में नियमित जांच, टीकाकरण और जांच जैसी सुविधाएं पहुंचाई जा चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ रही है, उसके अनुसार सरकार कौशल संपन्न स्वास्थ्य पेशेवर तैयार करने का भी प्रयास कर रही है और इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े मानव संसाधन तैयार करने के लिए बजट में पिछले साल की तुलना में बड़ी वृद्धि की गई है.
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ग्राहक और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के बीच एक आसान इंटरफेस उपलब्ध कराता है. उन्होंने कहा, ‘‘इससे देश में उपचार पाना और देना, दोनों बहुत आसान हो जाएंगे. इतना ही नहीं, यह भारत के गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य तंत्र की वैश्विक पहुंच को भी आसान बनाएगा.''
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