प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की सालाना बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया.पीएम मोदी ने यूएन में बड़े बदलावों की जरूरत की वकालत करते हुए कहा कि भारत के लोग यूएन की अहम संस्थाओं में प्रतिनिधित्व का इंतजार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री के संबोधन से जुड़ी अहम बातें...
- पीएम मोदी ने कहा, ''आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?
- पीएम ने कहा, ''अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियां दिखाई देती हैं. अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं.''
- नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए. कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा. उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?
- पीएम ने कहा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है. इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली Response कहां है?
- पीएम ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव,स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है.
- पीएम ने कहा कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के reforms को लेकर जो Process चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये Process कभी logical end तक पहुंच पाएगी.आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के decision making structures से अलग रखा जाएगा.
- पीएम ने कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं.
- पीएम मोदी ने कहा कि जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है,जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?
- पीएम ने कहा कि हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है. संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है.
- नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती. भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती. हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते.