
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर पीएम मोदी ने किया नमन...
नई दिल्ली:
स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है. इस मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें नमन किया और एक वीडियो के जरिए संदेश भी दिया है. पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए कहा कि वह स्वामी विवेकानंद की जचंती पर उन्हें प्रणाम करते हैं. बता दें कि आज आज राष्ट्रीय युवा दिवस भी है. ऐसे में पीएम ने देश की युवा शक्ति को भी सैल्यूट किया. अध्यात्म के क्षेत्र में किए गए स्वामी विवेकानंद के कार्यो को देखते हुए हर साल उनकी जयंती 12 जनवरी को 'युवा दिवस' के रूप में मनाया जाता है.
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर इस शहर में होगा सामूहिक सूर्य नमस्कार
12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट के एक कायस्थ परिवार में विश्वनाथ दत्त के घर में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद) को हिंदू धर्म के मुख्य प्रचारक के रूप में जाना जाता है. नरेंद्र के पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी पाश्चात्य सभ्यता के मार्ग पर चले मगर नरेंद्र ने 25 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़कर संन्यासी का जीवन अपना लिया. परमात्मा को पाने की लालसा के साथ तेज दिमाग ने युवक नरेंद्र को देश के साथ-साथ दुनिया में विख्यात बना दिया.
VIDEO- स्वामी विवेकानंद की जयंती : युवा दिवस पर योग का रिकॉर्ड
नरेंद्रनाथ दत्त की जिंदगी में सबसे बड़ा मोड़ 1881 के अंत और 1882 के प्रारंभ में आया, जब वह अपने दो मित्रों के साथ दक्षिणेश्वर जाकर काली-भक्त रामकृष्ण परमहंस से मिले. यहीं से नरेंद्र का 'स्वामी विवेकानंद' बनने का सफर शुरू हुआ. स्वामी विवेकानंद की कम उम्र में मृत्यु को लकेर मशहूर बांग्ला लेखक शंकर ने अपनी किताब 'द मॉन्क ऐज मैन' में लिखा था कि स्वामी अनिद्रा, मलेरिया, माइग्रेन, डायबिटीज समेत दिल, किडनी और लिवर से जुड़ी 31 बीमारियों के शिकार थे। इसी वजह से उनका सिर्फ 39 साल की उम्र में चार जुलाई, 1902 को निधन हो गया.
इनपुट- IANS
स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर इस शहर में होगा सामूहिक सूर्य नमस्कार
I bow to Swami Vivekananda on his Jayanti. Today, on National Youth Day I salute the indomitable energy and enthusiasm of our youngsters, who are the builders of New India. pic.twitter.com/1aXEqvVRgY
— Narendra Modi (@narendramodi) January 12, 2018
12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट के एक कायस्थ परिवार में विश्वनाथ दत्त के घर में जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद) को हिंदू धर्म के मुख्य प्रचारक के रूप में जाना जाता है. नरेंद्र के पिता पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे. वह चाहते थे कि उनका पुत्र भी पाश्चात्य सभ्यता के मार्ग पर चले मगर नरेंद्र ने 25 साल की उम्र में घर-परिवार छोड़कर संन्यासी का जीवन अपना लिया. परमात्मा को पाने की लालसा के साथ तेज दिमाग ने युवक नरेंद्र को देश के साथ-साथ दुनिया में विख्यात बना दिया.
VIDEO- स्वामी विवेकानंद की जयंती : युवा दिवस पर योग का रिकॉर्ड
नरेंद्रनाथ दत्त की जिंदगी में सबसे बड़ा मोड़ 1881 के अंत और 1882 के प्रारंभ में आया, जब वह अपने दो मित्रों के साथ दक्षिणेश्वर जाकर काली-भक्त रामकृष्ण परमहंस से मिले. यहीं से नरेंद्र का 'स्वामी विवेकानंद' बनने का सफर शुरू हुआ. स्वामी विवेकानंद की कम उम्र में मृत्यु को लकेर मशहूर बांग्ला लेखक शंकर ने अपनी किताब 'द मॉन्क ऐज मैन' में लिखा था कि स्वामी अनिद्रा, मलेरिया, माइग्रेन, डायबिटीज समेत दिल, किडनी और लिवर से जुड़ी 31 बीमारियों के शिकार थे। इसी वजह से उनका सिर्फ 39 साल की उम्र में चार जुलाई, 1902 को निधन हो गया.
इनपुट- IANS
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