लखनऊ में सरकार ने सड़कों पर लोगों की तस्वीरों वाली होर्डिंग्स लगाकर ऐलान किया है कि इन लोगों से सीएए प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कारण वसूली की जाएगी. इन तस्वीरों में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ़ जफर और दीपक कबीर की तस्वीरें भी हैं. उनका कहना है कि उनके खिलाफ तोड़फोड़ का कोई सुबूत नहीं है. इसे लेकर वे अदालत में जाएंगे.
पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी जिस पुलिस के डीआईजी थे आज उसी ने उन्हें दंगाई बताकर शहर में उनकी होर्डिंग्स लगा दी हैं. 76 साल के दारापुरी के लिए होर्डिंग में कहा गया है कि उन्होने 19 दिसंबर को तोड़फोड़ की जिससे करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जो उन लोगों से वसूला जाएगा. दारापुरी का कहना है कि यह आरोप सरकार ने लगाया है. अदालत में साबित नहीं हुआ है, और न ही वे फरार हैं. इसलिए ऐसी होर्डिंग्स गैरक़ानूनी हैं.
एसआर दारापुरी ने कहा कि ''यह मैं समझता हूं कि हम लोगों को बदनाम करने और हम लोगों को टारगेट करवाने के इरादे से हमारे पोस्टर लगाए गए हैं. इसमें हमारी मानहानि भी और हमारी लाइफ और लिबर्टी भी है, उसको भी बहुत बड़ा ख़तरा पैदा हुआ है. इस पॉइंट को लेकर इसको हम लोग हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रहे हैं.''
सदफ ज़फर आज जब अपनी तस्वीर वाली होर्डिंग के समीप पहुंचीं तो वहां जमा भीड़ ने उनकी तस्वीर से उन्हें पहचानकर उन पर घटिया फिकरे कसे. उनका कहना है कि जब उन्हें गिरफ्तार किया गया उस वक्त वे फेसबुक लाइव कर रही थीं जिसमें वे पुलिस से तोड़फोड़ करने वालों को पकड़ने के लिए कह रही थीं. होर्डिंग में तस्वीर छपने से उनकी बदनामी हुई है. वे एक्टिविस्ट हैं..दंगाई नहीं.
सदफ जफर ने कहा कि ''आप हमारा नाम पता दिखाकर उन जगहों पर होर्डिंग्स लगाकर जहां से हमारे बच्चे गुज़रते हैं..स्कूल जाते हैं..उनके दोस्त आते हैं, उनके मां-बाप जाते हैं..टीचर्स जाते हैं..आप यहा दिखाकर किस तरह से बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. यह कंप्लीटली अनएथिकल है और इल्लीगल है.''
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संस्कृतिकर्मी दीपक कबीर के सांस्कृतिक आयोजन कबीर फेस्टिवल का उद्घाटन हाल ही में लखनऊ के कमिश्नर ने किया था और तमाम बड़े आईएएस और आईपीएस अफसर उसमें शामिल हुए थे. लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की बैठक में प्रशासन उनसे राय लेता था. उन्हीं दीपक कबीर की फोटो होर्डिंग में चौराहों पर लगी है. बताया गया कि उन्होंने तोड़फोड़ की है, जिसकी उनसे वसूली होगी.
दीपक कबीर ने कहा कि ''जिस देश में एक विरोध करने के आधार पर आप इतना किसी के पीछे पड़ जाएं ..वो हैं न.. कि तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबां शायर की, या निसार मैं तेरी गलियों पे आई वतन की जहां चली है रस्म, कि ना कोई सिर उठा के चले...''
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प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा कहते हैं कि सरकार ने बिल्कुल सही कदम उठाया है. ऐसी होर्डिंग्स पूरे यूपी में लगाई जाएंगी. मोहसिन रज़ा ने कहा कि ''इस तरह के जितने भी लोग हैं उनको पूरे उत्तर प्रदेश के अंदर चौराहों पर लगा लगाकर लोगों को दिखाया जाएगा..कि यह वे चेहरे हैं..इन्हें पहचान लीजिए..जो प्रदेश में और देश में माहौल खराब करने का प्रयास कर रहे हैं.''
यह बहुत मुमकिन है कि सरकार के पास इसमें से कई लोगों के तोड़फोड़ करने के वीडियो एविडेंस हों, लेकिन 76 साल के आईपीएस अफ़सर एसआर दारापुरी. 80 साल के वकील शोइब अहमद और एक्टिविस्ट सदफ़ ज़फर पर खुद तोड़फोड़ करने या दंगा भड़काने का आरोप साबित करना एक लंबी क़ानूनी प्रक्रिया होगी...और बेगुनाह तो वो पता नहीं कब साबित होंगे बदनामी तो उनकी अभी हो रही है.
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