शहाबुद्दीन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूयू ललित ने आज विवादित राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन द्वारा बर्बर हत्या के शिकार तीन युवकों की मां की उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिसमें इस मामले में उन्हें मिली जमानत रद्द करने की मांग की गई थी.
शहाबुद्दीन को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है. न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए चार हफ्ते के लिए स्थगित किया क्योंकि शहाबुद्दीन की ओर से पेश वकील ने याचिका पर जवाब के लिए समय मांगा.
न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा कि चूंकि वह इस मुद्दे से जुड़े मामले में पेश हो चुके हैं, वह इसे नहीं सुन सकते. इस मामले के पीड़ित तीन भाइयों की मां ने पटना उच्च न्यायालय के दो मार्च के शहाबुद्दीन को नियमित जमानत मंजूर करने के आदेश को चुनौती दी थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
शहाबुद्दीन को इस मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है. न्यायमूर्ति अमिताव राय और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए चार हफ्ते के लिए स्थगित किया क्योंकि शहाबुद्दीन की ओर से पेश वकील ने याचिका पर जवाब के लिए समय मांगा.
न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा कि चूंकि वह इस मुद्दे से जुड़े मामले में पेश हो चुके हैं, वह इसे नहीं सुन सकते. इस मामले के पीड़ित तीन भाइयों की मां ने पटना उच्च न्यायालय के दो मार्च के शहाबुद्दीन को नियमित जमानत मंजूर करने के आदेश को चुनौती दी थी.
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