मुंबई:
महाराष्ट्र की ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने अपने आप को जनता के मन की मुख्यमंत्री होने का दावा किया है। पंकजा बीजेपी के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी भी हैं। वे पुणे में एक समारोह में मंच से सम्बोधित कर रही थीं।
खास बात है कि यह मंच स्थानीय कांग्रेसी नेता पतंगराव कदम की संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लिए बना था। अपने बयान से पंकजा मुंडे ने बीजेपी के अनुशासन की कलई खोल दी है। इसे मौजूदा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के लिए किरकिरी भी माना जा रहा है।
पंकजा ने अपने भाषण में कहा, 'उन्हें पता नहीं वो कभी सीएम बन सकेंगी या नहीं। लेकिन, आज भी वो जहां भी जाती हैं अलग-अलग दलों के लोगों से उन्हें सीएम होने जैसा ही अनुभव मिलता है। और जनता के मन की सीएम होना यह उनके लिए सुखद बात है, जीत का मूल मंत्र है।
पंकजा मुंडे राज्य की बीजेपी सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनी हैं। इससे पहले वे सांसद रह चुकी थी। पंकजा के मुख्यमंत्री पद को लेकर दिए बयान से पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद के लिए जारी घमासान खुलकर सामने आ गया है। वैसे यह पहली बार नहीं कि पंकजा की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश की गई हो। राज्य विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया था।
वैसे मुख्यमंत्री पद को लेकर अकेली पंकजा मुंडे नहीं, राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे भी दावेदारी जता चुके हैं। खडसे ने राज्य में पहलीबार बीजेपी की सरकार बनने के तुरंत बाद ही कहा था कि मुख्यमंत्री बहुजन समाज का हो यह बहुतायत की इच्छा है। सरकार बनाने कि कवायद के बीच खडसे ने अपने तेवरों से यह जता दिया था कि वे सीएम बनना चाहते हैं। जबकि आलाकमान इससे इतेफ़ाक नहीं रखता था।
मुख्यमंत्री पद को लेकर महाराष्ट्र की नयी नवेली बीजेपी सरकार में शुरुआत से ही मचा यह घमासान अब भी बरकरार है। वैसे इस घमासान के पीछे राज्य का जातीय समीकरण भी जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते नेता इस पद पर ब्राह्मण व्यक्ति के बैठे होने से आहत बताए जा रहे हैं।
खास बात है कि यह मंच स्थानीय कांग्रेसी नेता पतंगराव कदम की संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लिए बना था। अपने बयान से पंकजा मुंडे ने बीजेपी के अनुशासन की कलई खोल दी है। इसे मौजूदा मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के लिए किरकिरी भी माना जा रहा है।
पंकजा ने अपने भाषण में कहा, 'उन्हें पता नहीं वो कभी सीएम बन सकेंगी या नहीं। लेकिन, आज भी वो जहां भी जाती हैं अलग-अलग दलों के लोगों से उन्हें सीएम होने जैसा ही अनुभव मिलता है। और जनता के मन की सीएम होना यह उनके लिए सुखद बात है, जीत का मूल मंत्र है।
पंकजा मुंडे राज्य की बीजेपी सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनी हैं। इससे पहले वे सांसद रह चुकी थी। पंकजा के मुख्यमंत्री पद को लेकर दिए बयान से पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद के लिए जारी घमासान खुलकर सामने आ गया है। वैसे यह पहली बार नहीं कि पंकजा की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश की गई हो। राज्य विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भी उन्होंने ऐसा ही बयान दिया था।
वैसे मुख्यमंत्री पद को लेकर अकेली पंकजा मुंडे नहीं, राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे भी दावेदारी जता चुके हैं। खडसे ने राज्य में पहलीबार बीजेपी की सरकार बनने के तुरंत बाद ही कहा था कि मुख्यमंत्री बहुजन समाज का हो यह बहुतायत की इच्छा है। सरकार बनाने कि कवायद के बीच खडसे ने अपने तेवरों से यह जता दिया था कि वे सीएम बनना चाहते हैं। जबकि आलाकमान इससे इतेफ़ाक नहीं रखता था।
मुख्यमंत्री पद को लेकर महाराष्ट्र की नयी नवेली बीजेपी सरकार में शुरुआत से ही मचा यह घमासान अब भी बरकरार है। वैसे इस घमासान के पीछे राज्य का जातीय समीकरण भी जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते नेता इस पद पर ब्राह्मण व्यक्ति के बैठे होने से आहत बताए जा रहे हैं।
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