कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने कहा है कि पेगासस जासूसी मामले में अब आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट पर ही टिकी है क्योंकि भारतीय अखबारों मे अब अपने पन्नों से इस मामले से जुड़ी खबरें हटा दी हैं. उन्होंने भारतीय अखबारों को डरपोक करार दिया है.
चिदंबरम ने ट्वीट किया है, "दुनिया उन डरपोक भारतीय अखबारों को नहीं पढ़ती, जिन्होंने कुछ दिनों बाद इस खबर को अपने पन्ने से हटा दिया है. हमारी उम्मीदें अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं."
The world does not read the timid Indian newspapers that have pushed the story from their pages after a few days.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 8, 2021
Our hopes rest on the Supreme Court.
पूर्व केंद्रीय गृह और वित्त मंत्री चिदंबरम ने एक के बाद एक कुल तीन ट्वीट किए हैं. उन्होंने मशहूर अंतरराष्ट्रीय ब्रिटिश पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' में छपी खबर के हवाले से लिखा है, "द इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने रिपोर्ट किया है कि भारत उन दस देशों में शामिल है, जिनके पास कुल मिलाकर 50,000 टेलीफोन नंबरों की संभावित सूची है, जिनमें से सैकड़ों नंबरों में घुसपैठ की गई थी. एनएसओ ग्रुप ने स्वीकार किया है कि उसके पास क्लाइंट के रूप में 40 देश और 60 एजेंसियां हैं."
The ECONOMIST magazine has reported that India is among ten countries that had, in all, a potential list of 50,000 telephone numbers out of which hundreds of numbers were infiltrated.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 8, 2021
NSO Group admitted to have 40 countries and 60 agencies as its clients.
उन्होंने आगे लिखा है, "उनमें से दस देशों ने जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया. क्या उनमें भारत भी एक है, यही प्रश्न है. दुनिया द इकोनॉमिस्ट, टाइम, न्यूयॉर्क टाइम्स, गार्जियन आदि पढ़ती है." बता दें कि राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, जजों समेत कई लोगों की कथित जासूसी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है. पिछले गुरुवार को इस मामले में पहली सुनवाई करते हुए CJI ने इसे गंभीर बताया था.
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