Pegasus SPY Scandal: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को जानकारी दी है कि मोबाइल फोन में सेंध लगाने वाले पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार ने यह जानकारी दी है. जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी (SIT) जांच कराने की मांग भी की गई है. कई अलग-अलग संगठनों ने इसको लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
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आईटी, इलेक्ट्रानिक मंत्रालय (IT Ministry) के अतिरिक्त सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दो पेज के हलफनामे में यह कहा है. केंद्र ने हालांकि विपक्ष के उन आरोपों को गलत बताया है, जिसमें कहा गया है कि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल विपक्षी दलों के नेताओं, मंत्रियों, आलोचकों और अन्य हस्तियों की जासूसी करने में किया गया. उनका कहना है कि कथित तौर पर इजरायली रक्षा कंपनी एनएसओ से यह स्पाईवेयर खरीदा गया.
केंद्र सरकार ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया है, जब इस पेगासस जासूसी समेत कई मुद्दों को लेकर संसद के पूरे मानसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार औऱ विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा और लगातार हंगामा होने के कारण सामान्य ढंग से कामकाज नहीं हो पाया. राज्यसभा में सत्र के आखिरी दिन तो अप्रत्याशित स्थिति देखने को मिली. इस दौरान मार्शलों और महिला सांसदों के बीच धक्कामुक्की को लेकर वीडियो फुटेज सामने आए. वहीं सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने भी स्वतंत्रता दिवस से जुड़े एक समारोह में रविवार को संसद में उचित तरीके से चर्चा न होने को लेकर खेद जताया था.
पेगासस जासूसी का मुद्दा दुनिया भर के तमाम देशों में सुर्खियां बना हुआ है. फ्रांस समेत कई देशों ने इसकी जांच को लेकर आदेश दिए हैं. याचिकाकर्ताओं ने यह दलील भी दी थी कि जब दूसरे देशों में इसको लेकर जांच हो रही है तो भारत में क्यों नहीं. हालांकि रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ से ऐसे स्पाईवेयर को लेकर कोई लेनदेन से स्पष्ट तौर पर इनकार किया है.
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