कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई को लेकर अपनी सहयोगी बीजेपी के निशाने पर आई पीडीपी ने आज कहा कि यह कदम अलगाववादियों के साथ बातचीत के लिए रचनात्मक माहौल पैदा करने के मकसद से उठाया गया है।
पीडीपी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद के सदस्य फिरदौस टाक ने संवाददाताओं से कहा, 'हम आलम की रिहाई के सरकार के फैसले का पूरी तरह बचाव करते हैं। अदालतों ने उसकी रिहाई का आदेश दिया था और राज्य सरकार उस पर अमल कर रही है।' पार्टी ने कहा कि यह कदम अलगाववादियों के साथ बातचीत के लिए रचनात्मक माहौल पैदा करने के मकसद से उठाए जा रहे हैं।
टाक ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'सुलह के लिए हमें कहीं से शुरुआत करनी होगी। हमें समझना होगा कि जब हम अलगाववादियों के साथ बातचीत करते हैं तो बातचीत के लिए रचनात्मक माहौल होना चाहिए।' पीडीपी ने आलम की रिहाई के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उसे हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं था।
टाक ने कहा, 'आप मुझे कानून का कोई एक प्रावधान बताइए जिसके तहत मसर्रत आलम को हिरासत में रखना चाहिए था। हम हमेशा से कहते रहे हैं कि पीएसए के तहत हिरासत और उम्रकैद के तहत हिरासत में फर्क है। केंद्रीय गृह मंत्री की ओर से इसे अच्छी तरह स्पष्ट किया गया है कि लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) छह महीने के लिए होता और इसे एक साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।' उन्होंने कहा, 'मसर्रत आलम के मामले में हिरासत को सात बार बढ़ाया गया। उसे हिरासत में रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है, इसलिए उसे रिहा किया गया।'
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