जम्मू और कश्मीर में सत्ता संभालते ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने केंद्र सरकार से अफ़ज़ल गुरु के अवशेष को सौंपने की मांग की है। श्रीनगर से आ रही जानकारी के मुताबिक़, पीडीपी ने यह मांग लिखित तौर पर की है और पार्टी के कम से कम नौ विधायकों ने इस पर दस्तख़त किए हैं।
दस्तख़त करने वाले विधायकों में मोहम्मद खालिद बांड, ज़हूर अहमद मीर, राजा मंज़ूर अहमद, मोहम्मद अब्बास वानी, यावल दिलावर मीर, मोहम्मद यूसुफ, एज़ाज अहमद मीर और नूर मोहम्मद शेख शामिल हैं।
पार्टी की तरफ से भेजे गए नोट में लिखा गया है कि 'अफ़ज़ल गुरु को फांसी न्याय प्रक्रिया का मज़ाक था और इसमें संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया'। पार्टी की तरफ से ये भी कहा गया है कि पार्टी अफ़ज़ल गुरु के अवशेष वापस करने की मांग के साथ खड़ी है और वह यह वादा करती है कि इसके लिए वह हरसंभव कोशिश करेगी।
पीडीपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनायी है। अफ़ज़ल गुरु को फांसी में होने वाली देरी पर बीजेपी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को सड़क से लेकर संसद तक घेर चुकी है। ज़ाहिर है पीडीपी की ताज़ा मांग बीजेपी के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर सकती है। सीएम बनते ही मुफ्ती मोहम्मद के पाकिस्तान हुर्रियत और आतंववादियों पर बयान से बीजेपी को पल्ला झाड़ना पहले से मुश्किल हो रहा है।
पीडीपी ने अपनी इस पुरानी मांग को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि निर्दलीय विधायक राशिद अहमद ने अफ़ज़ल गुरु की दया याचिका को स्वीकारने संबंधी जो प्रस्ताव पेश किया था वह उचित था और उस समय सदन को इसे स्वीकार कर लेना चाहिए था। ज्ञात हो कि 2011 में अफ़ज़ल गुरु को क्षमादान देने संबंधी एक प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर विधानसभा में लाया गया था, लेकिन शोरगुल और अव्यवस्था के बीच इसे पास नहीं किया जा सका था।
अफ़ज़ल गुरु संसद पर हमले का दोषी करार दिया गया था और 9 फरवरी 2013 को दिल्ली के तिहाड़ जेल में उसे फांसी दे दी गई। पीडीपी तब से लगातार अफ़ज़ल गुरु के अवशेष को सौंपने की मांग करती रही है। मुफ्ती मोहम्मद सईद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी इस बाबत चिट्ठी लिखी थी।
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