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This Article is From Jun 18, 2021

शशि थरूर की अध्‍यक्षता वाली संसदीय समिति के सामने आज पेश होंगे ट्विटर, IT मंत्रालय के अधिकारी

ट्विटर (Twitter) के शीर्ष अधिकारियों को ऐसे समय तलब किया गया है जब नए आईटी नियमों पर इसके रुख और अन्‍य विषयों को लेकर सरकार की इस  अमेरिकी सोशल मीडिया साइट से 'तकरार' चल रही है.

शशि थरूर की अध्‍यक्षता वाली संसदीय समिति के सामने आज पेश होंगे ट्विटर, IT मंत्रालय के अधिकारी
कांग्रेस सांसद शशि थरूर आईटी मामलों पर संसद की स्‍थायी समिति के अध्‍यक्ष हैं
नई दिल्ली:

नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और ऑनलाइन मीडिया प्‍लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के मुद्दे पर जांच के लिए ट्विटर इंडिया के प्रतिनिधि और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (इन्‍फॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी मिनिस्‍ट्री) के अधिकारी शुक्रवार को संसदीय समिति के समक्ष पेश होंगे. कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) की अगुवाई वाली सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की यह स्‍थायी समिति डिजिटल स्‍पेस में महिला सुरक्षा सहित विभिन्‍न विषयों पर इन लोगों के विचारों को सुनेगी. ट्विटर (Twitter) के शीर्ष अधिकारियों को ऐसे समय तलब किया गया है जब नए आईटी नियमों पर इसके रुख और अन्‍य विषयों को लेकर सरकार की इस  अमेरिकी सोशल मीडिया साइट से 'तकरार' चल रही है.

यूपी के गाजियाबाद में एक मुस्लिम की पिटाई से जुड़े मामले में पोस्‍ट को लेकर भी ट्विटर पर सांप्रदायिक नफरत भड़काने के आरोप लगे हैं. इस मामले में गाजियाबाद में ट्विटर, कुछ पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. स्थायी समिति की 18 जून को होने वाली बैठक के संदर्भ में जारी एक नोटिस के मुताबिक, इसका एजेंडा “ट्विटर के प्रतिनिधियों के पक्ष को सुनना है जिसके बाद डिजिटल स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष जोर देने समेत नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा तथा सोशल/ऑनलाइन मीडिया मंचों के दुरुपयोग की रोकथाम पर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी के प्रतिनिधियों के साक्ष्यों को देखना है” बैठक का नोटिस लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किया गया है.

गौरतलब है कि इस महीने ही केंद्र सरकार ने ट्विटर को “एक आखिरी नोटिस” जारी करते हुए उससे नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का पालन करने को कहा था.बीते कुछ महीनों में ट्विटर और केंद्र के बीच कई मुद्दों को लेकर टकराव देखने को मिला है.ट्विटर को हाल में तब आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था जब उसने उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भावगत समेत इस संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के व्यक्तिगत अकाउंट के प्रमाणन वाली “ब्लू टिक” हटा दी थी. 

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