प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में ताजा हमलों का सामना किए जाने के बीच सरकार बुधवार को सिंह के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख को निशाने पर लेती नजर आई और उसने कहा कि अवांछित टिप्पणियों से बचा जाना चाहिए।
इसके साथ ही सरकार ने यह कहते हुए अपना बचाव करने की कोशिश की कि मामला अदालत के विचाराधीन है।
पारेख की इस टिप्पणी के जवाब में कि यदि कोयला ब्लॉक आवंटन में कोई घोटाला हुआ है तो प्रधानमंत्री को भी ‘साजिशकर्ता’ के रूप में देखा जाना चाहिए, सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि इस मामले में ‘अवांछित और गैर-जरूरी’ टिप्पणियों से बचा जाना चाहिए।
तिवारी ने कहा कि सरकार केन्द्रीय जांच ब्यूरो को पहले ही सारे दस्तावेज उपलब्ध करा चुकी है और किसी को अगर कुछ कहना है तो वह सही मंच पर और सही समय पर कहा जाना चाहिए।
मंत्री ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के लिए भाजपा पर भी हमला बोला और कहा कि वह गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया जाहिर करने से इनकार कर दिया और केवल 3 सितंबर को प्रधानमंत्री द्वारा संसद में दिए गए बयान का जिक्र किया जहां उन्होंने कहा था कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और वह मामले की जांच कर रही सीबीआई को पूर्ण सहयोग मुहैया करा रही है।
तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा ध्यान मीडिया में आज प्रकाशित कुछ रिपोर्टों की ओर आकर्षित किया गया है। बेहद सम्मान के साथ मैं कहना चाहूंगा कि पूरे मामले की जांच हो रही है और उच्चतम न्यायालय खुद सीधे जांच की निगरानी कर रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, ऐसे मामले में जो अदालत के विचाराधीन है और जिसमें जांच जारी है, वहां लोगों के लिए इस प्रकार टिप्पणी करना अनुचित है।’
उनसे पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी। सीबीआई ने पारेख के खिलाफ कोयला घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की है। पारेख ने कहा है कि अंतिम निर्णयकर्ता प्रधानमंत्री थे और उन्हें ‘षड्यंत्रकर्ता’ माना जाना चाहिए। इसके बाद भाजपा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
तिवारी ने कहा कि सरकार ने जांचकर्ताओं को सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं और इसलिए ‘बेवजह की अटकलों’ को टाला जाना चाहिए।
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