अपनी 13-वर्षीय बेटी आरुषि की हत्या के मामले में पत्नी समेत गुरुवार को हाईकोर्ट से बरी किए गए राजेश तलवार का कहना है कि उत्तर प्रदेश की जिस जेल में वह 2013 से बंद हैं, वहां वीआईपी लोगों के सामने उनकी परेड कराई जाती है।
राजेश तलवार ने जेल में ही अपनी डायरी में लिखा, "कानून मंत्री से मिलना हुआ, क्योंकि डिप्टी जेलर ने मुझे वहां बुलाया था... ऐसा लगता है, चिड़ियाघर का कोई जानवर हूं, जिसे देखने सब आते रहते हैं... परमिन्दर अवाना (आईपीएल की टीम किंग्स 11 पंजाब का क्रिकेटर) और कुछ और लोग भी आए थे... उन्हें मुझे से मिलवाया गया, पता नहीं क्यों...? समझ नहीं आ रहा था, क्या प्रतिक्रिया दूं...?"
नवंबर, 2013 में सज़ा सुनाए जाने के बाद दो महीने, यानी जनवरी, 2014 तक, डॉक्टर तलवार ने यह डायरी लिखी थी, और इसे पत्रकार अविरूक सेन की नई किताब 'आरुषि' में शामिल किया गया है। यह किताब उस मामले की पड़ताल कर रही है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, और जिसमें तलवार दंपति की भूमिका को लेकर देशभर में दो गुट बन गए।
मामले की जांच करने वाली सीबीआई ने दिसंबर, 2010 में कोर्ट में कहा था कि उन्हें तलवार दंपति के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन सुनवाई कर रहे जज ने मामला खारिज करने की अनुमति नहीं दी, और बाद में 2013 में उन्हें दोषी करार दिया गया। हालांकि उन्होंने तुरंत ही अपील दायर कर दी थी, लेकिन दो साल बाद आज भी उस पर सुनवाई होनी बाकी है।
अपने 14वें जन्मदिन से कुछ ही दिन पहले आरुषि की गला कटी लाश उसके बिस्तर पर पड़ी मिली थी, और कुछ ही घंटे बाद तलवार परिवार के अपार्टमेंट की बिल्डिंग की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज की लाश भी पाई गई, जिसे तब तक मुख्य अभियुक्त समझा जा रहा था।
जांचकर्ताओं का कहना था कि तलवार के घर में बाहर से कोई नहीं आया था और यह काम घर के ही किसी सदस्य का है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि उनके पास कोई सबूत नहीं है कि यह काम किसने और क्यों किया। नई किताब इस बात की ओर इशारा करती है कि क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर देने के बावजूद सीबीआई ने सुनवाई के दौरान निष्कर्ष निकाला कि हेमराज और आरुषि को यौन संबंध बनाते देखकर राजेश-नूपुर ने ही हत्याएं कीं।
अपनी इस डायरी में राजेश तलवार लिखते हैं, "काश, मैं (उस रात) जाग जाता... मैं अपनी प्यारी आरू को भी नहीं बचा पाया..."
जेल में लिखी अपनी डायरी में डॉक्टर तलवार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का ज़िक्र भी किया है, जो उसी जेल में भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद सज़ा काट रहे हैं। तलवार ने लिखा, "वह बहुत अच्छे आदमी हैं और शायद उन्हीं की वजह से हम सब एक ही बैरक में हैं... हममें से ज़्यादातर को यही चिंता है कि अगर वह बेल पर छूट गए तो हमारा क्या होगा...?"
अपनी डायरी में राजेश तलवार ने कई बार आगरा जेल में भेजे जाने को लेकर (इसका प्रस्ताव था) चिंता जताई है, जहां उन्हें डर था कि अधिकारी, जो उनके और उनकी पत्नी के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, उन पर अपना गुस्सा निकालेंगे। उन्होंने लिखा, जेल का बदला जाना 'हमें खत्म कर देगा...'
राजेश तलवार ने जेल में ही अपनी डायरी में लिखा, "कानून मंत्री से मिलना हुआ, क्योंकि डिप्टी जेलर ने मुझे वहां बुलाया था... ऐसा लगता है, चिड़ियाघर का कोई जानवर हूं, जिसे देखने सब आते रहते हैं... परमिन्दर अवाना (आईपीएल की टीम किंग्स 11 पंजाब का क्रिकेटर) और कुछ और लोग भी आए थे... उन्हें मुझे से मिलवाया गया, पता नहीं क्यों...? समझ नहीं आ रहा था, क्या प्रतिक्रिया दूं...?"
नवंबर, 2013 में सज़ा सुनाए जाने के बाद दो महीने, यानी जनवरी, 2014 तक, डॉक्टर तलवार ने यह डायरी लिखी थी, और इसे पत्रकार अविरूक सेन की नई किताब 'आरुषि' में शामिल किया गया है। यह किताब उस मामले की पड़ताल कर रही है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, और जिसमें तलवार दंपति की भूमिका को लेकर देशभर में दो गुट बन गए।
मामले की जांच करने वाली सीबीआई ने दिसंबर, 2010 में कोर्ट में कहा था कि उन्हें तलवार दंपति के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन सुनवाई कर रहे जज ने मामला खारिज करने की अनुमति नहीं दी, और बाद में 2013 में उन्हें दोषी करार दिया गया। हालांकि उन्होंने तुरंत ही अपील दायर कर दी थी, लेकिन दो साल बाद आज भी उस पर सुनवाई होनी बाकी है।
अपने 14वें जन्मदिन से कुछ ही दिन पहले आरुषि की गला कटी लाश उसके बिस्तर पर पड़ी मिली थी, और कुछ ही घंटे बाद तलवार परिवार के अपार्टमेंट की बिल्डिंग की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज की लाश भी पाई गई, जिसे तब तक मुख्य अभियुक्त समझा जा रहा था।
जांचकर्ताओं का कहना था कि तलवार के घर में बाहर से कोई नहीं आया था और यह काम घर के ही किसी सदस्य का है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि उनके पास कोई सबूत नहीं है कि यह काम किसने और क्यों किया। नई किताब इस बात की ओर इशारा करती है कि क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर देने के बावजूद सीबीआई ने सुनवाई के दौरान निष्कर्ष निकाला कि हेमराज और आरुषि को यौन संबंध बनाते देखकर राजेश-नूपुर ने ही हत्याएं कीं।
अपनी इस डायरी में राजेश तलवार लिखते हैं, "काश, मैं (उस रात) जाग जाता... मैं अपनी प्यारी आरू को भी नहीं बचा पाया..."
जेल में लिखी अपनी डायरी में डॉक्टर तलवार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का ज़िक्र भी किया है, जो उसी जेल में भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद सज़ा काट रहे हैं। तलवार ने लिखा, "वह बहुत अच्छे आदमी हैं और शायद उन्हीं की वजह से हम सब एक ही बैरक में हैं... हममें से ज़्यादातर को यही चिंता है कि अगर वह बेल पर छूट गए तो हमारा क्या होगा...?"
अपनी डायरी में राजेश तलवार ने कई बार आगरा जेल में भेजे जाने को लेकर (इसका प्रस्ताव था) चिंता जताई है, जहां उन्हें डर था कि अधिकारी, जो उनके और उनकी पत्नी के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, उन पर अपना गुस्सा निकालेंगे। उन्होंने लिखा, जेल का बदला जाना 'हमें खत्म कर देगा...'
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