यह ख़बर 17 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

एनडीटीवी की खास रिपोर्ट : पाकिस्तान से भारत आए 450 हिन्दू परिवारों का दर्द

नई दिल्ली:

पाकिस्तान से भारत आए करीब 450 हिन्दू परिवार एक बार फिर से अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश में जुटे हैं। इन लोगों पर पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला जाता था, लेकिन इन लोगों ने धर्म बदलने की बजाय देश ही बदल लिया और अब ये अपने दिन बदलने के इंतजार में समय काट रहे हैं। एनडीटीवी संवाददाता अदिति राजपूत की रिपोर्ट।

दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास मजनूं का टीला इलाका में करीब 450 पाकिस्तानी हिन्दुओं ने पनाह ली है। इन्हीं में से एक वीरदास पाकिस्तानी हिन्दू हैं, जो दो साल पहले पाकिस्तान के सिंध से भारत में शरण लेने आए। पाकिस्तान की कड़वी यादें आज भी उनके जहन में ताज़ा हैं। आठ बच्चों के बाप वीर का 15 साल का बेटा काम से निकला था, लेकिन फिर लौटा नहीं। उसके अंतिम संस्कार तक का मौका नहीं मिला। वीरदास ने बताया कि एक कहानी हो तो बता दें, हम तो बहुत गमजदा हैं। पिछली बातें याद नहीं करो तो अच्छा है। दुख होता है और कुछ नहीं, याद आती है।

पासपोर्ट दिखाकर अपने पाकिस्तानी हिन्दू होने का सबूत देती शांति देवी दो साल पहले पाकिस्तान से यहां आई हैं। उनका और उनके पति का कहना है कि पाकिस्तान में इस्लाम धर्म अपनाने के लिए उन लोगों पर दबाव डाला जाता था। इसीलिए वे लोग अपने वतन लौट आए, लेकिन उस दहशत के माहौल से दूर इन्हें यहां गरीबी में रहने का कोई पछतावा नहीं है।

शांति देवी ने बताया, वे तंग करते थे। कहते थे इस्लाम धर्म अपना लो। हमने कहा, क्यों इस्लाम धर्म कबूल करें, इससे अच्छा अपने वतन लौट जाते हैं।

मजनूं का टीला इलाके में आशियाना बनाने की जद्दोजहद में लगे इन पाकिस्तानी हिन्दुओं को सरकार और पुलिस ने कहा है कि चूंकि इनके पास सिर्फ दिल्ली में रहने का वीज़ा है इसलिए ये बाहर नहीं जा सकते, लेकिन दिल्ली में इनकी मुश्किल यह है कि न इनके पास रहने का ठिकाना है, न रोज़गार और न ही बच्चों को स्कूल भेजने की व्यवस्था।

यहां के प्रधान धर्मवीर बागड़ी बताते हैं कि दिल्ली के कई इलाकों में पाकिस्तानी हिन्दुओं ने पनाह ली हुई है। कुछ 2012 में आए हैं, कुछ 2013 में तो कुछ तीन महीने पहले। फिलहाल इनकी निगरानी कर रही है दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने वीज़ा की मियाद बढ़ा दी है। इन 78 परिवारों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखकर मदद की गुहार की है। उनका कहना है कि उन्हें न कोई आधार कार्ड मिला है न ही कोई पहचान पत्र, जिसके चलते कोई नौकरी नहीं देता।

धर्मवीर की बातों से साफ ज़ाहिर है कि भारत-पाक रिश्तों का असर पाकिस्तानी हिन्दुओं पर पड़ा भी है। पाकिस्तान में इन्हें निशाना बनाया जाता है और भारत में इन्हें कोई पूछता नहीं है।

सुबह से शाम तक पुलिस महकमे से लेकर एनजीओ तक कई संस्थाएं इनका हालचाल लेने पहुंचती रहीं। यहां सही व्यवस्था न होने से कुछ नवजात बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यहां से दूसरे डेरों पर भेज दिया गया है, लेकिन जो महिलाएं यहां हैं वह काफी परेशानी में दिन काट रही हैं। न पीने को पानी है, न शौचालय की ही व्यवस्था।

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हालांकि गृहमंत्रालय ने 23 दिसंबर को इस मामले में दस संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक रखी है ताकि पाकिस्तानी हिन्दू नागरिकों के वीजा से जुड़े मामलों का जल्द सामाधान हो सके, लेकिन दिल्ली में सर्दी पैर पसारने लगी है, ऐसे में इनकी सारी उम्मीदें सरकार पर ही टिकी हैं।