नकली नोटों की देश में आमद पर पिछले दिनों विराम लग गया था, लेकिन अब फिर भारत के पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी पैमाने पर इसकी आमद होने लगी है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच से खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान स्थित आईएसआई और डी-कंपनी की सांठगांठ से देश में नकली नोटों की आपूर्ति दोबारा शुरू हो गई है. नकली नोटों का कारोबार करने वाले गिरोह के सरगना यूनुस अंसारी की नेपाल में गिरफ्तारी के बाद इस सांठगांठ से परदा हटा. भारतीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया.
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि अंसारी का आईएसआई और दाउद इब्राहिम से करीबी संबंध है और वह नकली नोटों का कारोबार करने वाले गिरोह का सबसे बड़ा खिलाड़ी है. अंसारी के साथ-साथ तीन पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया, जिनकी पहचान मुहम्मद अख्तर, नादिया अनवर और नसीरुद्दीन के रूप में की गई.
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एक अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारी के वक्त अंसारी और उसके सहयोगियों के पास से सात करोड़ रुपये मूल्य के नकली नोट बरामद हुए. अंसारी की गिरफ्तारी से यह भी पता चला कि भारत में नकली नोट भरने का जरिया अब नेपाल नहीं रहा, बल्कि अब बांग्लादेश से लगती भारत की पूर्वी सीमा के रास्ते नकली नोट आ रहे हैं. गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले भारत में नकली नोट भेजने के लिए नेपाल के रास्ते का उपयोग करता था. यह बात एनआईए की जांच में सामने आई है.
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हाल ही में पश्चिम बंगाल के एक आदमी को 10 लाख रुपये मूल्य के नकली नोटों के साथ आनंद विहार रेलवे स्टेशन से दबोचा गया. पूछताछ के दौरान आरोपी ने इस बात का खुलासा किया कि नकली नोट बांग्लादेश में छापे गए थे और उसे राष्ट्रीय राजधानी के व्यस्त बाजारों व दुकानों में खपाने की योजना थी.
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