आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाने वाला पाकिस्तान अपने दावों से इतर आतंकवाद को रोकने में नाकाम साबित हुआ है. अमेरिकी के विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान आतंकवाद से मुकाबला के लिए पर्याप्त कदम उठाने और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के संस्थापक मसदू अजहर (Masood Azhar) और लश्कर-ए-तैयबा के साजिद मीर (Sajid Mir) जैसे 2008 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड समेत कई आतंकियों पर मुकदमा चलाने में नाकाम रहा है.
अमेरिका के विदेश विभाग ने 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म 2020' में कहा, "पाकिस्तान ने आतंकवाद को रोकने के लिए अपने 2015 के नेशनल एक्शन प्लान के सबसे सख्त पहलुओं पर सीमित प्रगति की, खासकर बिना देरी या किसी भेदभाव के सभी आतंकी संगठनों को खत्म करने की अपनी प्रतिज्ञा के मामले में उसका रवैया ढीला रहा."
रिपोर्ट में जिक्र किया गया कि कैसे फरवरी में और फिर नवंबर में, लाहौर की एक एंटी टेरेरिज्म कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को आतंकवाद के वित्तपोषण के कई मामलों में दोषी ठहराया और उसे पांच साल छह महीने जेल की सजा सुनाई.
इसमें कहा गया, "हालांकि, पाकिस्तान ने अपने देश में रहने वाले अन्य आतंकी लीडर्स, जैसे जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा के साजिद मीर, 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड, के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कदम नहीं उठाए."
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां आतंकी खतरों को रोकने में प्रभावी हैं. हालांकि, खुफिया एजेंसियों के बीच आपस तालमेल और सूचनाओं के आदान-प्रदान में कमी बनी हुई है.
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