कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से पहले से अर्थव्यवस्था में नरमी देखी जा रही है. अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की टिप्पणी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने तीखी आलोचना की है. वित्त मंत्री ने कहा था कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि दैवीय घटना है. उनके दैवीय घटना वाले बयान पर चिदंबरम ने आज कहा कि "मानव द्वारा खड़े किए गए संकट के लिए भगवान को दोष मत दीजिए."
पहली तिमाही की जीडीपी के आंकड़े सामने आने के बाद पूर्व वित्त मंत्री ने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में यह बात कही. उन्होंने सरकार के राहत पैकेज को एक "मजाक" बताया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में करीब 24 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है.
चिदंबरम ने कहा, "भगवान को दोष मत दो. बल्कि आपको तो भगवान को धन्यवाद कहना चाहिए. भगवान ने देश के किसानों को आशीर्वाद दिया है. कोरोना वायरस महामारी एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन आप, महामारी को, जो कि एक प्राकृतिक आपदा है, उसे मनुष्य निर्मित आपदा से जोड़ रहे हैं."
निर्मला सीतारमण ने राज्यों की ओर से जीएसटी क्षतिपूर्ति की मांग करने पर राजस्व में कमी के लिए महामारी को जिम्मेदार ठहराया था, जिसके बाद उनकी आलोचना की गई थी. वित्त मंत्री ने कहा था, "इस साल हम असाधारण स्थिति का सामना कर रहे हैं. हम दैवीय घटना का सामना कर रहे हैं, जहां हमें अर्थव्यवस्था में गिरावट भी देखनी पड़ सकती है.
जीडीपी के आंकड़े जारी होने के बाद देश की आर्थिक हालत को लेकर मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा था कि आगामी तिमाहियों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और भारत की इकोनॉमी में 'V' शेप रिकवरी होगी. इस पर भी चिदंबरम ने सवाल उठाया है.
चिदंबरम ने हैरानी जताते हुए कहा, "मुझे नहीं पता कि कोई मुख्य आर्थिक सलाहकार को गंभीरता से लेता है या नहीं. आखिरी बार प्रधानमंत्री के साथ उनकी बातचीत कब हुई थी? वह महीनों से अनुमान लगा रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में वी-शेप की रिकवरी होगी."
पूर्व वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को या तो कर्ज लेना चाहिए या फिर अपने घाटे को कम करना चाहिए. आम बोलचाल की भाषा में उन्होंने कहा कि घाटे को कम करने के लिए सरकार को मुद्रा छापनी चाहिए. उन्होंने कहा, "यह समय खर्च, मांग को बढ़ाने और लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाने का है ताकि उपभोग को बढ़ाया जा सके."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं