नई दिल्ली:
असहिष्णुता के नाम पर पुरस्कार लौटाने वालों के संदर्भ में साहित्य अकादेमी ने गुरुवार को कहा कि पुरस्कार संस्था की तरफ से दिया जाने वाला एक सम्मान है, जिसे वापस नहीं लिया जाता।
अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासन राव ने आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने अभी तक किसी का पुरस्कार वापस नहीं लिया है और लेंगे भी नहीं, क्योंकि पुरस्कार संस्था की तरफ से दिया जाने वाला एक सम्मान है, जिसे वापस नहीं लिया जाता।’’ उन्होंने कहा कि 39 साहित्यकारों ने हमें पुरस्कार वापस करने के बारे में लिखित में दिया है, जिनमें से 35 ने पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि का चेक भी भेजा है।
राव ने कहा, ‘‘हमने चेक को भुगतान के लिए बैंक में जमा नहीं किया है। इसलिए पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि उन्हीं के खातों में है।’’ उन्होंने कहा कि अकादेमी ने पुरस्कार वापस करने वाले साहित्यकारों से अपने फैसले पर विचार करने का भी अनुरोध किया है। गौरतलब है कि देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता की वजह से कई साहित्यकारों ने अपने साहित्य अकादेमी पुरस्कार वापस लौटा दिए थे।
अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासन राव ने आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने अभी तक किसी का पुरस्कार वापस नहीं लिया है और लेंगे भी नहीं, क्योंकि पुरस्कार संस्था की तरफ से दिया जाने वाला एक सम्मान है, जिसे वापस नहीं लिया जाता।’’ उन्होंने कहा कि 39 साहित्यकारों ने हमें पुरस्कार वापस करने के बारे में लिखित में दिया है, जिनमें से 35 ने पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि का चेक भी भेजा है।
राव ने कहा, ‘‘हमने चेक को भुगतान के लिए बैंक में जमा नहीं किया है। इसलिए पुरस्कार के साथ दी जाने वाली राशि उन्हीं के खातों में है।’’ उन्होंने कहा कि अकादेमी ने पुरस्कार वापस करने वाले साहित्यकारों से अपने फैसले पर विचार करने का भी अनुरोध किया है। गौरतलब है कि देश में कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता की वजह से कई साहित्यकारों ने अपने साहित्य अकादेमी पुरस्कार वापस लौटा दिए थे।
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