यह ख़बर 22 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

उड़ीसा : मध्यस्थों ने जेल में माओवादी नेता से बात की

खास बातें

  • मलकानगिरी के जिलाधीश और एक कनिष्ठ अधिवक्ता की रिहाई के लिए माओवादियों से बातचीत महत्वपूर्ण स्तर पर पहुंच गई है।
भुवनेश्वर:

माओवादियों द्वारा चुने गये मध्यस्थों ने मंगलवार को कट्टर नक्सली नेता गंति प्रसादम से उनकी प्रमुख मांगों पर चर्चा की। मलकानगिरी के जिलाधीश और एक कनिष्ठ अधिवक्ता की रिहाई के लिए माओवादियों से बातचीत महत्वपूर्ण स्तर पर पहुंच गई है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रसादम को कड़ी सुरक्षा के बीच कोरापुट जेल से प्रदेश की राजधानी लाया गया, जिसके तत्काल बाद वार्ताकारों- प्रोफेसर जी. हरगोपाल और डी. मोहंती ने झारपड़ा की उच्च सुरक्षा वाली जेल में प्रसादम से मुलाकात की। जिलाधीश आरवी कृष्णा और कनिष्ठ अधिवक्ता पवित्र माझी को बंधक बनाये हुए छह दिन बीत गए हैं और उनकी रिहाई के लिए बातचीत में प्रसादम ने शामिल होने की इच्छा जताई थी। प्रसादम ने कहा, अब मुख्य मकसद हालात को शांत करने का है। गतिरोध लंबे समय तक बरकरार नहीं रहना चाहिए। कोरापुट के एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा, गंति प्रसादम को सुरक्षा कारणों से एक स्थानीय उप संभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति पर कोरापुट से भुवनेश्वर लाया गया। शीर्ष माओवादी नेता रामकृष्ण के करीबी सहयोगी प्रसादम ने चार अन्य नक्सली नेताओं के साथ उड़ीसा उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत अर्जी दाखिल की है। सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रसादम की जमानत अर्जी का विरोध नहीं करने का फैसला किया है। मलकानगिरी जिले के चित्रकोंडा इलाके से 16 फरवरी को कृष्णा और माझी को अगवा करने वाले माओवादियों की प्रमुख मांगों में प्रसादम को बातचीत में शामिल करना भी था। प्रो. हरगोपाल ने इससे पहले राज्य सरकार से कहा था कि प्रसादम की रिहाई से अगवा अधिकारियों की सुरक्षित रिहाई में मदद मिलेगी। मध्यस्थों और राज्य सरकार के बीच बातचीत के दूसरे दिन माओवादियों की 14 में से 8 मांगों को मान लिया गया और शेष 6 पर बातचीत होनी है।


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