बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह (फाइल फोटो)
पटना:
बीजेपी बिहार में अपने राज्यसभा उम्मीदवार गोपाल नारायण सिंह के कारण विवादों में है। गोपाल नारायण सिंह द्वारा नामांकन के समय दिए गए शपथ पत्र में उनके ख़िलाफ़ लम्बित 28 मामलों की सूची दी गयी है और जेडीयू ने इस आधार पर भाजपा पर हमला बोल दिया है।
मंगलवार को गोपाल नारायण सिंह जो पहले बिहार में पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उन्होंने पार्टी के विधान परिषद के उमीदवारों - विनोद नारायण सिंह और अर्जुन सहनी - के साथ नामांकन दाख़िल किया। लेकिन नामांकन के समय शपथ पत्र ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया। इस ऐफ़िडेविट के अनुसार उनपर हत्या का प्रयास, जालसाज़ी, सरकारी सेवकों के काम में बाधा डालने, माइंस ऐक्ट के कई मामले लम्बित हैं। और जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह और डॉक्टर अजय आलोक ने संवादाता सम्मेलन कर पूछा कि क्या ये भारतीय जनता पार्टी का नया चाल, चरित्र और चेहरा है जहां दो दर्जन से अधिक मामलों में आरोपी व्यक्ति को पार्टी राज्यसभा भेजती है।
वहीं गोपाल नारायण सिंह का कहना है कि पार्टी ने उन्हें पिछले साल विधानसभा चुनावों में भी नवीनगर से टिकट दिया था और अधिकांश मामले मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर दर्ज कराए गए और उनमें कोई दम नहीं है। सिंह का दावा है कि पार्टी ने उनकी सेवा के आधार पर और संघ के साथ उनके संबंधों के आधार पर ये टिकट दिया है। वहीं टिकट के दावेदार और बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी सिंह का ये कहते हुए बचाव किया है कि मात्र मामले लम्बित होने से कोई दोषी नहीं हो जाता। लेकिन जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि भाजपा दोहरा मापदंड अपनाती है। जब ख़ुद इनके नेता आरोपों में घिरते हैं तब पार्टी किसी तरह पल्ला झाड़ कर निकलना चाहती है।
गोपाल नारायण सिंह का राज्यसभा के लिए चुना जाना तय है क्योंकि बिहार से 5 सीटों के किए पांच ही उम्मीदवार मैदान में हैं। जहां जनता दल यूनाइटेड से शरद यादव और रामचंद प्रसाद सिंह राज्यसभा एक बार फिर जाएंगे वहीं राष्ट्रीय जनता दल से लालू यादव की बेटी मीसा भारती और वरिष्ठ वक़ील रामजेठमलानी का राज्यसभा जाना अब तय है।
मंगलवार को गोपाल नारायण सिंह जो पहले बिहार में पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उन्होंने पार्टी के विधान परिषद के उमीदवारों - विनोद नारायण सिंह और अर्जुन सहनी - के साथ नामांकन दाख़िल किया। लेकिन नामांकन के समय शपथ पत्र ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया। इस ऐफ़िडेविट के अनुसार उनपर हत्या का प्रयास, जालसाज़ी, सरकारी सेवकों के काम में बाधा डालने, माइंस ऐक्ट के कई मामले लम्बित हैं। और जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह और डॉक्टर अजय आलोक ने संवादाता सम्मेलन कर पूछा कि क्या ये भारतीय जनता पार्टी का नया चाल, चरित्र और चेहरा है जहां दो दर्जन से अधिक मामलों में आरोपी व्यक्ति को पार्टी राज्यसभा भेजती है।
वहीं गोपाल नारायण सिंह का कहना है कि पार्टी ने उन्हें पिछले साल विधानसभा चुनावों में भी नवीनगर से टिकट दिया था और अधिकांश मामले मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर दर्ज कराए गए और उनमें कोई दम नहीं है। सिंह का दावा है कि पार्टी ने उनकी सेवा के आधार पर और संघ के साथ उनके संबंधों के आधार पर ये टिकट दिया है। वहीं टिकट के दावेदार और बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी सिंह का ये कहते हुए बचाव किया है कि मात्र मामले लम्बित होने से कोई दोषी नहीं हो जाता। लेकिन जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि भाजपा दोहरा मापदंड अपनाती है। जब ख़ुद इनके नेता आरोपों में घिरते हैं तब पार्टी किसी तरह पल्ला झाड़ कर निकलना चाहती है।
गोपाल नारायण सिंह का राज्यसभा के लिए चुना जाना तय है क्योंकि बिहार से 5 सीटों के किए पांच ही उम्मीदवार मैदान में हैं। जहां जनता दल यूनाइटेड से शरद यादव और रामचंद प्रसाद सिंह राज्यसभा एक बार फिर जाएंगे वहीं राष्ट्रीय जनता दल से लालू यादव की बेटी मीसा भारती और वरिष्ठ वक़ील रामजेठमलानी का राज्यसभा जाना अब तय है।
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