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This Article is From Dec 16, 2013

दिल्ली गैंगरेप का एक साल, नहीं भूलना 16 दिसंबर...

नई दिल्ली:

देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप की घटना को आज एक साल पूरे हो गए हैं। एक साल पहले 16 दिसंबर को चलती बस में 23-वर्षीय छात्रा के साथ छह लोगों ने न सिर्फ गैंगरेप किया था, बल्कि बेहद निर्मम तरीके से उस पर अत्याचार भी किए थे।

बाद में छात्रा और उसके पुरुष मित्र को जख्मी हालत में चलती बस से फेंककर चले गए थे। पहले दिल्ली और फिर कुछ दिनों तक सिंगापुर में इलाज के बाद पीड़ित छात्रा की सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना के बाद दिल्ली सहित देश के कई शहरों में कई दिनों तक भारी विरोध प्रदर्शन होते रहे।

इस जघन्य वारदात के सभी दोषियों को गिरफ्तार किया। छह में से चार दोषियों को फांसी की सजा हुई, जबकि राम सिंह नामक दोषी ने सजा सुनाए जाने से पूर्व ही तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी। छठा दोषी नाबालिग निकला, जिसे जुवेनाइल बोर्ड ने तीन साल के लिए सुधार गृह भेज दिया।

हालांकि नौ माह की सुनवाई के बाद चार बलात्कारियों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई, लेकिन उस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद से लड़की का परिवार हमेशा सदमे, दुख और गुस्से में ही रहता है।

पीड़िता के 48-वर्षीय पिता ने आंसुओं से भरी आंखों के साथ बताया, हम कभी इससे उबर नहीं पाएंगे और वह हमारे बीच अब भी जीवित है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी जब भी कुछ पकाती है, तो वह अपनी बेटी को याद करती है।

भरी हुई आवाज में उन्होंने कहा, जब भी हम खाना खाने बैठते हैं, मेरी पत्नी कहती है, यह उसका पसंदीदा खाना है और हम उसके बिना ही इसे खा रहे हैं। उसे अच्छा खाना बहुत पसंद था। मेरी पत्नी याद करती है कि आखिरी बार हमारी बेटी ने यह कहकर घर छोड़ा था कि वह तीन-चार घंटों में वापस आ जाएगी, लेकिन हमारा वह इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ, क्योंकि वे घंटे महीनों में बदल गए और महीने सालों में।

आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि उन्होंने कड़ी सजा से बच निकले किशोर आरोपी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है और उनकी असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है। उन्होंने कहा, हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है। हम चाहते हैं कि घटना के समय किशोर रहे उस दोषी समेत सभी दोषियों को फांसी पर लटकाया जाए। तभी शायद हमारे दिमागों को थोड़ी शांति मिलेगी और हम शांति से सो सकेंगे। पति की इस बात पर निर्भया की मां ने भी सहमति जताई।

पीड़िता के माता-पिता ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और अपील की थी कि किशोरों के खिलाफ आपराधिक अदालत में अभियोजन को प्रतिबंधित करने वाले कानून को हटाकर, इस घटना के समय किशोर रहे दोषी के खिलाफ मामला चलाने के निर्देश दिए जाएं। जब उनसे पूछा गया कि क्या बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शनों को शुर करने वाले और सरकार को बलात्कार-विरोधी कानूनों में संशोधन करने व महिलाओं की सुरक्षा के उपायों की समीक्षा के लिए बाध्य करने वाली इस घटना के बाद से महिलाएं देश में सुरक्षित महसूस करती हैं, तो पिता ने कहा, जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक महिलाएं सड़कों पर सुरक्षित नहीं हो सकतीं।

मुनिरका के उस बस स्टैंड पर लोगों ने पूजा−पाठ किया, जहां साल भर पहले यह घटना हुई थी। एक साल पहले गैंगरेप की घटना के बाद दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन हुए थे। रविवार को भी जंतर-मंतर पर लोग जमा हुए और पीड़ित लड़की की याद में वहां कैंडिल जलाया। दिल्ली गैंगरेप केस के बाद कानून में बदलाव किए गए, लेकिन लोगों का मानना है कि कानून से अधिक इस दिशा में लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है।

(इनपुट भाषा से भी)

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