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This Article is From Sep 03, 2015

वन रैंक-वन पेंशन: पूर्व सैनिकों ने नहीं माना सरकार का प्रस्‍ताव, कहा- यह हमारी मांग नहीं, हक है

वन रैंक-वन पेंशन: पूर्व सैनिकों ने नहीं माना सरकार का प्रस्‍ताव, कहा- यह हमारी मांग नहीं, हक है
जंतर-मंतर पर प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करते पूर्व सैनिक...
नई दिल्‍ली: वन रैंक-वन पेंशन के मुद्दे के जल्‍द सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति बनने की खबर के बीच आज जंतर-मंतर पर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने आज प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर साफ कहा कि अभी उन लोगों ने सरकार का कोई प्रस्‍ताव नहीं माना है। सरकार द्वारा खर्च का दिया गया आंकड़ा सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि 'सरकार पेंशन के लिए जो आठ हज़ार करोड़ के खर्च की बात कर रही है वो सही नहीं है। हमने हर साल 3 फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं की है। हम तीन फीसदी बढ़ोतरी की मांग नहीं कर रहे। सिर्फ समय-समय पर रिव्यू की मांग है।' उन्‍होंने आगे कहा, वन रैंक-वन पेंशन हमारी मांग नहीं बल्कि हमारा हक़ है।

दरअसल, पहले कहा जा रहा था कि वन रैंक-वन पेंशन पर सरकार की ओर से जल्द ही कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है, क्‍योंकि सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच पेंशन के फॉर्मुले को लेकर सहमति बन गई है। दोनों पक्षों के बीच बुधवार को हुई बैठक के बाद इसकी जानकारी दी गई। बताया जा रहा था कि पूर्व सैनिक हर साल की बजाए दो साल में पेंशन में रिविज़न पर राजी हो गए हैं।

वहीं, पूर्व सैनिकों ने 2014 को पेंशन के लिए आधार वर्ष मान लिया है। इससे पहले वह 2011 को आधार साल मानने की मांग कर रहे थे।

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