तीन साल पहले "भारत की पहली क्रानियोपैगस सर्जरी" के जरिए अलग किए गए सिर से जुड़े ओडिशा के जुड़वा बच्चों में से एक कालिया का बुधवार की शाम को कटक के सरकारी अस्पताल श्रीराम चंद्र भांजा (एससीबी) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में निधन हो गया. अस्पताल के एक आपातकालीन अधिकारी डॉ भुबानंद महाराणा ने कहा कि कालिया ट्रामा आईसीयू में उपचाराधीन था.
अक्टूबर 2017 में नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इन जुड़वा बच्चों को अलग किया गया था. दो साल के ऑब्जर्वेशन और सर्जरी के बाद के उपचार के पश्चात उन्हें सितंबर 2019 में कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया था.
डॉ महाराणा ने कहा कि अलग हुए जुड़वा बच्चों में से एक कालिया की बुधवार को सेप्टीसीमिया और सदमे से मौत हो गई. डॉ महाराणा ने एक बयान में कहा, "उसकी हालत पिछले सात-आठ दिनों में खराब हो गई थी और आज बहुत बिगड़ गई. डॉक्टरों के काफी प्रयास के बावजूद उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों की 14 सदस्यीय टीम उसका इलाज कर रही थी."
जग्गा और कालिया नाम के जुड़वां बच्चे जन्म के समय खोपड़ी और दिमाग से जुड़े हुए थे. ऐसी स्थिति को क्रानियोपैगस कहा जाता है. ओडिशा के कंधमाल जिले की एक आदिवासी महिला की संतान इन बच्चों ने सामान्य प्रसव से जन्म लिया था. उन्हें 14 जुलाई 2017 को एम्स में भर्ती कराया गया था. एक के बाद एक कई सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके सिर अलग-अलग कर दिए गए थे.
उनके सिर को अलग करने की सर्जरी दो प्रमुख चरणों में की गई. पहली सर्जरी 28 अगस्त 2017 को की गई थी, जो 25 घंटे तक चली थी. सर्जिकल सेपरेशन का दूसरा चरण 25 अक्टूबर 2017 को किया गया था. भारत में क्रैनियोपैगस जुड़वां के पहले सफल सेपरेशन के रूप में इस सर्जरी का दावा किया जाता है.
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