नई दिल्ली:
स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले अमेठी में मोदी सरकार के दूसरे साल की सालगिरह मनाई। इस सीट से पिछले 2014 लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से हार गई थीं। यहां चाय की एक दुकान पर बैठी देश की सबसे युवा मानव संसाधन मंत्री से जब पूछा गया कि क्या वह आने वाले यूपी चुनाव में भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार होंगी तो उन्हें घेरकर खड़ी समर्थकों की भीड़ ने इस प्रस्ताव का जबर्दस्त समर्थन किया। हालांकि ईरानी ने अपने समर्थकों को चुप रहने का इशारा किया और कहा कि 'मेरी पार्टी, काडर आधारित पार्टी है। ऐसे में अंतिम रूप से यह निर्णय मेरी पार्टी के अध्यक्ष और नेतृत्व को करना है।' ईरानी ने यह भी कहा कि 2019 में अमेठी में उनके फिर से चुनाव लड़े जाने का फैसला पार्टी लेगी और उन्हें सूचित करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दो साल पूरा होने पर सरकार ने अपनी इस अवधि के दौरान शुरू की गई नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों ने पिछले दो सालों से पीएम की छवि एक ऐसे नेता के रूप में बनाने की कोशिश की है जो अपने सहयोगियों के हाथ में ज्यादा नियंत्रण थमाने के इच्छुक नहीं दिखाई देते। कहा जाता है कि वह सुझावों को भी नहीं सुनते। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व शैली के संबंध पर पूछे गए सवाल पर ईरानी का कहना था कि 'ये सभी निराधार हैं और वह (पीएम) सभी से सलाह लेते हैं। यहां तक कि वह आपकी सहमति को भी सीधे तौर पर नहीं मान लेते और आपसे पूछ लेते हैं कि आखिर आप उनसे सहमत क्यों हैं और तब आपको अपना पक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है।'
स्मृति ईरानी से जब पीएम के नेतृत्व और कैबिनेट बैठकों में उनकी सक्रियता के बारे में पूछा गया तो जवाब में उन्होंने कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 'कम से कम बीजेपी में गुलामी के अनुबंध जैसी बातें नहीं होती।' दरअसल बंगाल में नव निर्वाचित विधायकों से कांग्रेस द्वारा निष्ठा के हलफनामे साइन करवाए गए हैं और स्मृति का बयान इसी बात की तरफ इशारा करते हुए दिखाई देता है।
ईरानी ने अपना ही उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह पीएम फीडबैक के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और गलतियों को माफ करने में वक्त नहीं लगाते। 2002 गुजरात दंगों के बाद स्मृति ने सार्वजनिक तौर पर मोदी की निंदा की थी और उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग की थी। स्मृति बताती हैं 'उस वक्त मैं छोटी थी और मोदी तो बीजेपी के स्टार थे। वह चाहते तो पार्टी से कहकर इस नई लड़की को बाहर का रास्ता दिखवा सकते थे या कह सकते थे कि इसे ऐसी जगह दिखाओ कि यह कभी राजनीतिक तौर पर उठ न सके।'
बीजेपी की नेता ईरानी उस वक्त को याद करते हुए कहती हैं 'बल्कि उन्होंने मुझे बैठाया और मुझसे कहा कि तुम इस नतीजे पर कैसे पहुंची।' जब जवाब में ईरानी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया तो जवाब मिला 'मुझे अखबारों के संपादकीय से मत परखो, मुझे मेरी योजनाओं और उसके प्रभावों से आंको और अगर इसमें कुछ गड़बड़ हो तो बताओ कि उस कार्यक्रम में यह कमी है, उसे दूर करने में मेरी मदद करो ताकि मैं विकास के वादे को पूरा कर सकूं।'
ईरानी ने बताया कि किस तरह पीएम ने उन्हें सलाह दी थी कि 'मैं कोई माफी या स्पष्टीकरण नहीं चाहता। अगर तुम किसी एक योजना से जुड़ सकती हो और उसे सफल बनाने में मेरी मदद कर सकती हो तो पार्टी के लिए तुम्हें बस यही करना चाहिए।' स्मृति ने कहा कि 'उस व्यक्ति के लिए मेरे मन में सम्मान रातों रात बढ़ गया था।'
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दो साल पूरा होने पर सरकार ने अपनी इस अवधि के दौरान शुरू की गई नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों ने पिछले दो सालों से पीएम की छवि एक ऐसे नेता के रूप में बनाने की कोशिश की है जो अपने सहयोगियों के हाथ में ज्यादा नियंत्रण थमाने के इच्छुक नहीं दिखाई देते। कहा जाता है कि वह सुझावों को भी नहीं सुनते। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व शैली के संबंध पर पूछे गए सवाल पर ईरानी का कहना था कि 'ये सभी निराधार हैं और वह (पीएम) सभी से सलाह लेते हैं। यहां तक कि वह आपकी सहमति को भी सीधे तौर पर नहीं मान लेते और आपसे पूछ लेते हैं कि आखिर आप उनसे सहमत क्यों हैं और तब आपको अपना पक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है।'
स्मृति ईरानी से जब पीएम के नेतृत्व और कैबिनेट बैठकों में उनकी सक्रियता के बारे में पूछा गया तो जवाब में उन्होंने कांग्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि 'कम से कम बीजेपी में गुलामी के अनुबंध जैसी बातें नहीं होती।' दरअसल बंगाल में नव निर्वाचित विधायकों से कांग्रेस द्वारा निष्ठा के हलफनामे साइन करवाए गए हैं और स्मृति का बयान इसी बात की तरफ इशारा करते हुए दिखाई देता है।
ईरानी ने अपना ही उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह पीएम फीडबैक के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और गलतियों को माफ करने में वक्त नहीं लगाते। 2002 गुजरात दंगों के बाद स्मृति ने सार्वजनिक तौर पर मोदी की निंदा की थी और उनसे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग की थी। स्मृति बताती हैं 'उस वक्त मैं छोटी थी और मोदी तो बीजेपी के स्टार थे। वह चाहते तो पार्टी से कहकर इस नई लड़की को बाहर का रास्ता दिखवा सकते थे या कह सकते थे कि इसे ऐसी जगह दिखाओ कि यह कभी राजनीतिक तौर पर उठ न सके।'
बीजेपी की नेता ईरानी उस वक्त को याद करते हुए कहती हैं 'बल्कि उन्होंने मुझे बैठाया और मुझसे कहा कि तुम इस नतीजे पर कैसे पहुंची।' जब जवाब में ईरानी ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया तो जवाब मिला 'मुझे अखबारों के संपादकीय से मत परखो, मुझे मेरी योजनाओं और उसके प्रभावों से आंको और अगर इसमें कुछ गड़बड़ हो तो बताओ कि उस कार्यक्रम में यह कमी है, उसे दूर करने में मेरी मदद करो ताकि मैं विकास के वादे को पूरा कर सकूं।'
ईरानी ने बताया कि किस तरह पीएम ने उन्हें सलाह दी थी कि 'मैं कोई माफी या स्पष्टीकरण नहीं चाहता। अगर तुम किसी एक योजना से जुड़ सकती हो और उसे सफल बनाने में मेरी मदद कर सकती हो तो पार्टी के लिए तुम्हें बस यही करना चाहिए।' स्मृति ने कहा कि 'उस व्यक्ति के लिए मेरे मन में सम्मान रातों रात बढ़ गया था।'
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