भारत में की गई जीनोम सीक्वेंसिंग में 18% सैंपल में ओमिक्रॉन की मौजूदगी का पता चला है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी. यह आंकड़े 12 दिसंबर से किए गए जीनोम सीक्वेंसिंग के डेटा के आधार हैं. दिल्ली के कम्युनिटी से आए पॉजिटिव सैंपल में 50% ओमिक्रॉन वेरिएंट की मौजूदगी का पता चला है. ओमिक्रॉन का दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन है, इसमें ये वो लोग हैं जो किस से संपर्क में आए पता नहीं चल रहा है. महानगर मुंबई में मुंबई में कम्युनिटी में ओमिक्रॉन की मौजूदगी को लेकर विश्लेषण किया जा रहा है.
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दिसंबर के महीने में करीब 16 हजार सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए हैं. नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को बेहद संक्रामक बताया गया है. पुराना वैरिएंट के कारण जहां 8 से 9 दिनों में केसों की संख्या दोगुनी हो रही थी,वहीं ओमिक्रॉन के मामले 2 से 3 दिनों में ही दोगुने हो रहे हैं. सभी metropolitan cities के सभी पॉजिटिव सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे जा रहे हैं, इसके अलावा हैदराबाद भी इसमें है.एक और बात कि यह वैरिएंट, अच्छा खासा ब्रेक थ्रू इन्फेक्शन कर रहा है यानी टीके के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं. कोरोना वायरस के नए स्वरूप ‘ओमिक्रॉन' के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने जीवन रक्षक गैस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है.आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने 6,000 डी-टाइप सिलेंडर भी खरीदे हैं. एक डी-टाइप सिलेंडर में 46 लीटर ऑक्सीजन आ सकती है. शहर में 31 मई तक ऐसे सिलेंडर नहीं थे.आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम के पास 9,115 से अधिक सिलेंडर हैं. शहर में ‘प्रेशर ऐड्सॉर्प्शन' संयंत्र भी हैं, जो 99.66 मीट्रिक टन ऑक्सीजन बना सकते हैं. दिल्ली में 31 मई तक ऐसी कोई सुविधा नहीं थी. सरकार पांच जनवरी, 2022 तक चार और संयंत्र स्थापित करेगी.इस सप्ताह, 12.5 मीट्रिक टन क्षमता वाले दो ‘क्रायोजेनिक बॉटलिंग' संयंत्र चालू किए जाएंगे, ये एक दिन में 1,400 जंबो सिलेंडर को भरने की क्षमता रखते हैं. सरकार के पास 31 मई तक, तीन ‘रिफिलर' ही थे, जो प्रति दिन लगभग 1,500 सिलेंडर भर सकते थे.
बिना ट्रैवल हिस्ट्री वाले मुंबई के लोगों के सैंपल्स में से 37% ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित
ओमिक्रॉन वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट की तुलना में यह करीब चार गुना ज्यादा संक्रामक है. ऐसे में लोगों को ज्यादा सावधानी रखनी होगी. यह वेरिएंट भले ही डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा संक्रामक है लेकिन अच्छी बात यह है कि इसके कारण लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हो रहे. डेल्टा वैरिएंट के कारण जहां ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती करने (करीब एक चौथाई) की नौबत आ रही थी, वहीं ओमिक्रॉन में ऐसा नहीं है.ओमिक्रॉन से प्रभावित 100 में से केवल पांच लोगों को ही अस्पताल दाखिल होने की नौबत आ रही है और इन पांच लोगों में भी लक्षण काफी कम हैं.'ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन के असर को अभी देखा जा चुका है. वैक्सीन बीमार होने से तो बचा रहा है. भले ही यह संक्रमित होने से नहीं बचाती लेकिन बीमार होने से बचाती है. ऐसे में जरूरत इस बात की है कि जिन्होंने वैक्सीन के डोज नहीं लिए, वे जल्द लगवाएं. यह ओमिक्रॉन से सुरक्षा प्रदान करेगा लेकिन इसके साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग भी जरूरी है.
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