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This Article is From Dec 15, 2016

अब आसान नहीं होगा पतंग काटना, मकर संक्रांति पर नहीं हो सकेगी 'धारदार' पतंगबाजी

अब आसान नहीं होगा पतंग काटना, मकर संक्रांति पर नहीं हो सकेगी 'धारदार' पतंगबाजी
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: अब पतंगबाजी  के शौकीनों के लिए अपने प्रतिस्पर्धी की पतंग काटना आसान नहीं होगा. पिसे हुए कांच का उपयोग करके तैयार की जाने वाली पतंग की डोर यानी कि 'मांझा' पर  राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.

देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी की परंपरा है. मकर संक्रांति 14 जनवरी को होती है और इस पर्व पर पतंगबाजी जमकर होती है. एनजीटी मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को करेगा और तब तक सभी तरह का मांझा प्रतिबंधित रहेगा. जाहिर है इससे मकर संक्रांति पर धारदार डोरों की पतंगबाजी नहीं हो पाएगी.     

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को देश भर में कांच लेपित 'मांझा' और इसी तरह की अन्य खतरनाक पतंग की डोर की खरीदी, बिक्री एवं इस्तेमाल पर अंतरिम रोक लगा दी. न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व में एनजीटी की पीठ ने नायलॉन के धागे (चीनी मांझा) के साथ-साथ कांच या अन्य खतरनाक यौगिक लेपित सिंथेटिक या सूती धागों पर अगले साल 1 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक लगाई है.

पीठ ने कहा कि कांच लेपित पतंग की डोर न केवल पक्षी, जानवर और मनुष्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं. न्यायाधिकरण ने यह आदेश एक गैर सरकारी संगठन 'पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया' की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. याचिका में सभी प्रकार की तीक्ष्ण पतंग की डोरों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी.

(इनपुट आईएएनएस से)

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