वेंकैया नायडू ने शब्दों से खेलने के अपने चिर-परिचित अंदाज़ में खुद को राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर बताया है...
नई दिल्ली:
विभिन्न राजनैतिक दलों में देश का अगला राष्ट्रपति चुने जाने की कवायद के तेज़ होते चले जाने के बीच केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने शब्दों से खेलने के अपने चिर-परिचित अंदाज़ में खुद को दौड़ से बाहर बताया है...
दरअसल, कुछ समाचारपत्रों और टीवी चैनलों में वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित दावेदार बताया जाता रहा है... पत्रकारों ने मंगलवार को जब इस संदर्भ में उनसे सवाल किया, तो उन्होंने चिर-परिचित शैली में जवाब दिया, "न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, न उपराष्ट्रपति... मैं सिर्फ 'उषा-पति' बनकर खुश हूं..."
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधायिकाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जबकि उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्य करते हैं...
पार्टी के भीतरी सूत्रों के मुताबिक वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति बनाए जाने का विचार इसलिए जायज़ है, क्योंकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पैठ बनाने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए यह फायदेमंद कदम साबित हो सकता है...
पिछले ही सप्ताह विपक्षी दलों ने तय किया था कि वे सरकार द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद ही तय करेंगे कि क्या वह उन्हें स्वीकार्य हैं, या वे इस पद के लिए चुनाव की स्थिति पैदा करेंगे... मौजूदा राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने जा रहा है...
दरअसल, कुछ समाचारपत्रों और टीवी चैनलों में वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित दावेदार बताया जाता रहा है... पत्रकारों ने मंगलवार को जब इस संदर्भ में उनसे सवाल किया, तो उन्होंने चिर-परिचित शैली में जवाब दिया, "न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं, न उपराष्ट्रपति... मैं सिर्फ 'उषा-पति' बनकर खुश हूं..."
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधायिकाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जबकि उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्य करते हैं...
पार्टी के भीतरी सूत्रों के मुताबिक वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति बनाए जाने का विचार इसलिए जायज़ है, क्योंकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पैठ बनाने की कोशिश कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए यह फायदेमंद कदम साबित हो सकता है...
पिछले ही सप्ताह विपक्षी दलों ने तय किया था कि वे सरकार द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी की घोषणा होने के बाद ही तय करेंगे कि क्या वह उन्हें स्वीकार्य हैं, या वे इस पद के लिए चुनाव की स्थिति पैदा करेंगे... मौजूदा राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने जा रहा है...
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