बस मालिकों के खिलाफ मामला दर्ज करना संभव नहीं : मोगा प्रशासन

मोगा केस से जुड़ी फाइल तस्वीर

मोगा:

मोगा के जिला प्रशासन ने शनिवार को कहा कि उस बस कंपनी के प्रोपरायटरों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता जिस बस में छेड़छाड़ के बाद धक्का दिए जाने से एक दलित किशोरी की मौत हुई।

प्रशासन ने हालांकि कहा कि वह लड़की के परिवार वालों को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने तथा उसकी मां को सरकारी नौकरी मुहैया कराने के लिए तैयार है।

बस के चालक और परिचालक ने जब पीड़ित को छेड़ा था तब उसकी मां भी उसके साथ थी। मां बेटी के विरोध करने पर उन्हें चलती बस से धक्का दे दिया गया था।

मोगा के उपायुक्त परमिंदर सिंह गिल ने कहा ‘‘अगर किसी व्यक्ति को अपराध के बारे में जानकारी नहीं है तो उसके खिलाफ मामला कैसे दर्ज किया जा सकता है। यह कानूनी तौर पर संभव भी नहीं है।’’

गिल ने डीआईजी एएस चहल और एसएसपी जेएस खेहरा के साथ बस की घटना के सिलसिले में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया।

पीड़ित के पिता और विपक्षी दल उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ मामला दर्ज करने तथा कंपनी का बस परमिट रद्दे करने की मांग कर रहे हैं। सुखबीर ऑर्बिट एविएशन के सह-स्वामी हैं। जिस बस में हादसा हुआ वह इसी कंपनी की है।

घटना के तीन दिन बाद भी पीड़ित के परिवार वालों ने उसका अंतिम संस्कार तब तक नहीं करने के लिए कहा है जब तक कि बस के मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती।

गिल ने पीड़ित के परिवार को आश्वासन दिया कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा ‘‘उन्हें (पीड़ित के परिवार वालों को) न्याय मिलेगा।’’ उन्होंने उसके परिजनो से उसका अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया। पीड़ित का शव अभी शवगृह में रखा हुआ है।

जिला प्रशासन ने कहा है कि वह 20 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए तैयार है। पीड़ित के परिजनों को अनुसूचित जाति आयोग से छह लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति भी मिलेंगे।

गिल ने कहा ‘‘हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि लड़की की मां को उसकी योग्यता के अनुसार, नौकरी दी जाएगी।’’ जब पीड़ित से बस में छेड़छाड़ की गई थी तब उसकी मां भी उसके साथ थी। विरोध करने पर चालक एवं परिचालक ने चलती बस से उन्हें धक्का दे दिया था। मां को चोटें आई हैं और वह अस्पताल में भर्ती है।

इस बीच, डीआईजी ए एस चहल और एसएसपी जे एस खेहरा ने कहा कि मोगा बस हादसे की तुलना दिल्ली के उबर मामले से नहीं की जा सकती जिसमें एक कैब चालक ने यात्री के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया था।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा ‘‘उबर मामले में टैक्सी चालक बिना रूट परमिट के गाड़ी चला रहा था और उसके पास सक्षम प्राधिकारी की अनुमति भी नहीं थी। ऑर्बिट मामले में ऐसी कोई शिकायत नहीं है।’’ आगे उन्होंने कहा कि पंजाब अनुसूचित जाति आयोग के निर्देशों के अनुसार, घायल मां, उसके पति और पुत्र को पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। ‘‘लांदे गांव में उनके मकान में भी सुरक्षा उपलब्ध कराई गई है।’’ उपायुक्त गिल ने सभी राजनीतिक दलों से कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपना विरोध समाप्त करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि 20 लाख रुपये के अलावा घायल महिला के पुत्र की शिक्षा के लिए 3.80 लाख रुपये भी दिए जाएंगे।

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आप के सांसद भगवंत मान आज शाम मोगा के सरकारी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब तक बादल के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जाता तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।