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This Article is From Jun 02, 2021

कोरोना मरीजों में हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक के साथ अब ‘इंटेस्टिनल अटैक’ के मामले भी आए सामने

कोरोना सिर्फ़ दिल-दिमाग ही नहीं आंत में भी खून के थक्के जमा रहा है. मुंबई में ऐसे दर्जनों मामले डॉक्टर देख रहे हैं.

कोरोना मरीजों में हार्ट अटैक, स्‍ट्रोक के साथ अब ‘इंटेस्टिनल अटैक’ के मामले भी आए सामने
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ‘इंटेस्टिनल अटैक’ के मामले भी सामने आए हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

कोविड महामारी के दौर में ब्लड क्लॉट के कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोक का ख़तरा तो है ही, अब ‘इंटेस्टिनल अटैक' के मामले भी मुंबई में दिख रहे हैं, कोविड का ज़्यादा संक्रमण शरीर में क्लॉट बढ़ाता है और क्लॉट के कारण अगर आंत तक खून नहीं पहुंचा तो मरीज़ों में गैंग्रीन की समस्या दिख रही है, दूसरे शब्‍दों में कहें तो कोरोना सिर्फ़ दिल-दिमाग ही नहीं आंत में भी खून के थक्के जमा रहा है. मुंबई में ऐसे दर्जनों मामले डॉक्टर देख रहे हैं. मुंबई के पांच बड़े अस्पतालों से जुड़े Interventional Radiologist डॉ अभिजीत सोनी बताते है कि इंटेस्टिनल क्लॉट और गैंग्रीन के मामले दूसरी वेव के दौरान क़रीब तीन गुना बढ़े हैं. मुंबई में इंटरवेंशनल रेडीआलॉजिस्ट डॉ. सोनी के अनुसार, कोरोना वायरस फेफड़ों के अलावा गैस्ट्रोइन्टेस्टेनल ट्रैक्ट पर भी हमला कर सकता है. ऐसे कोविड मरीज़ों की संख्या क़रीब 16-30% होती है. ऐसे मरीज़ों को सांस लेने की समस्या की शिकायत कम और पेट से जुड़ी शिकायत ज़्यादातर दिखती है. दुर्लभ मामलों में कोविड की वजह से मरीजों में आंतों में थक्के हो जाते हैं, जिसे एक्यूट मेसेन्ट्रिक इस्कीमिया (AMI) कहा जाता है.

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AMI के चलते छोटी आंत के हिस्सों में खून की सप्लाई प्रभावित होती है, जिससे गैंग्रीन की समस्या होती है. पेट में दर्द,पेट का सख़्त होना, दस्त, उल्टी, बुख़ार जैसे इसके कुछ लक्षण होते हैं, कुछ मामलों में दस्त में ख़ून या काला दस्त भी हो सकता है. Wockhardt हॉस्पिटल में ऐसे 10 मरीज़ों का इलाज कर चुका है. इस अस्‍पताल के डॉ. इमरान शेख बताते हैं, 'कोविड के समय में mesenteric ischemia मतलब ब्लड सप्लाई ब्लड को कम हो जाना इसकी वजह से आँत का डैमेज होना, ये एक कॉमन बीमारी दिख रही है. ऐसे मामले बीते साल कम थे, लेकिन इस साल काफ़ी बढ़े हैं. कोविड में ये कॉमन क्यूँ है, इसका जवाब यह है कि जब कोविड होता है तो नॉर्मली हमारा इम्यून सिस्टम बूस्टअप हो जाता है और रिएक्ट करता है, इसके साथ ही क्लॉटिंग सिस्टम भी रिएक्ट करता है और बॉडी क्लॉट करने के लिए रेडी हो जाता है. जब संक्रमण ज़्यादा फैलता है तो क्लॉटिंग मैकेनिज़म ज़्यादा रिएक्‍ट करते हुए बॉडी पार्ट में क्लॉट बनाने लगता है. बॉडी-नसों के साथ साथ यह आंत में भी क्लॉट बना सकता है.' अगर आंत में थक्के जमने से जुड़े लक्षण समय पर पहचान लिए जाएं तो गैंग्रीन जैसी घातक समस्या से बचा जा सकता है. कोविड इस समस्या को तेज़ी से बढ़ाता है.

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फोर्टिस हॉस्पिटल के Advanced Laparoscopic & Gastrointestinal Surgeon डॉ. हेमंत पाटिल बताते हैं, 'जब दिखता है कि मरीज का पेट ज़्यादा फूल गया है, स्टूल पास नहीं हो रहा, लगातार फ़ीवर है, पेट दर्द कम नहीं हो रहा तो, ऐसे में हम CT angiography करते हैं. पेट का सीटी स्कैन करने को बोलते हैं. स्कैन से पता चलता है कि कितने पार्ट में गैंग्रीन हुआ है, फिर कोई उपाय नहीं है. ऑपरेशन करके ये गैंग्रीन पार्ट निकलना पड़ता है. सेप्टिक क्लीन करना पड़ता है,नहीं तो जान का ख़तरा बढ़ता है. भाटिया हॉस्पिटल के Gastroenterologist डॉ. विपुलरॉय राठौड़ कहते हैं, 'रक्त वाहिनी जो आंतों को खून सप्लाई करती है. अगर ब्लड क्लॉट जम जाता है तो जो खून, आंत को मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता. इसकी वजह से गैंग्रीन की संभावना हो सकती है तो जैसे क्लॉट की वजह से लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक आता है वैसे ही इंटेस्टिनल अटैक आ सकता है. अभी-अभी बढ़ा है पहले इतना कॉमन नहीं था.' कोविड के इस जटिल दौर में एक्‍सपर्ट बताते हैं कि पेट में अनजान दर्द पर भी सावधान रहें, उल्टी-दस्त जैसी तकलीफ़ साथ हो डॉक्टर से सम्पर्क बेहद ज़रूरी है! थक्के जमने की शिकायत कोविड से ठीक होने के बाद भी मरीज़ों में दिख सकती है.

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