यह ख़बर 24 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पूर्वोत्तर में चिदंबरम के समक्ष 1855 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण

खास बातें

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े आत्मसमर्पण कार्यक्रम में नौ समूहों के 1855 उग्रवादियों ने मंगवलार को केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
गुवाहाटी:

पूर्वोत्तर क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े आत्मसमर्पण कार्यक्रम में नौ समूहों के 1855 उग्रवादियों ने आज केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

उनमें आदिवासी संथाल संगठन के पांच बड़े जातीय समूहों के उग्रवादी शामिल थे जो उपरी असम में सक्रिय थे । इनमें तीन कुकी और एक एचएमएआर समूह का उग्रवादी था।

चिदंबरम ने कहा, ‘आज का दिन ऐतिहासिक है। इस तरह की घटना बार-बार नहीं होती जब उग्रवाद की राह पर चलने वाले इतने समूहों ने एक साथ शांति, मेल..मिलाप और भाईचारे की राह अपनाई हो।’ चिदंबरम ने कहा, ‘मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत और असम की सरकार आपके साथ सम्मान और गरिमा के साथ भारत के नागरिक की तरह बर्ताव करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार उग्रवादियों का वापस मुख्य धारा में स्वागत करती है। हमारा मानना है कि हमारे यहां गणतंत्र और लोकतंत्र है जहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है। हर कोई सम्मान के साथ जीने का हकदार है।’ समारोह में मुख्यमंत्री तरूण गोगोई सेना के तीन और चार कोर के जीओसी तथा पुलिस महानिदेशक जयंत नारायण चौधरी भी मौजूद थे।

गृह मंत्री ने कहा ‘सभी मतभेद बातचीत सलाहमशविरे और प्रयास से सुलझाये जा सकते हैं।’ अपने कमाण्डरों के नेतृत्व में उग्रवादियों ने 201 हथियार और गोलाबारूद सौंपे।

जिन भूमिगत संगठनों के उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया उनके नाम हैं। आल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी संथाल टाइगर फोर्स बिरसा कमांडो फोर्स आदिवासी कोबरा मिल्रिटी आफ असम कुकी लिबरेशन आर्मी कुकी लिबरेशन आर्गेनाइजेशन हमार पीपुल्स कन्वेंसन युनाइटेड कुकीगाम डिफेंस आर्मी और कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी। चिदम्बरम ने कहा ‘अतीत को पीछे छोड दो और भविष्य को सकारात्मक ढंग से देखो । हम आप तक पहुंचेंगे। आप उम्मीद खुशी आशावाद तथा भाईचारे के प्रति प्रेम के साथ आगे बढ़ो।’

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मंत्री ने कहा ‘आपके पास सार्थक जीवन जीने परिवार बनाने भारत के निर्माण तथा भारत एवं असम के भविष्य में योगदान के लिये कई साल हैं। मैं भारत की ओर से आपका स्वागत करता हूं और एक खुशहाल जीवन की कामना करता हूं।’ उन्होंने कहा ‘पिछले कुछ साल में हम कई बड़े समूहों तक पहुंचे जो हमारे लोकतंत्र की मजबूती को साबित करता है।’ उन्होंने आत्मसमर्पण करने वालों को महात्मा गांधी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ओैर सरदार वल्लभभाई पटेल के शब्दों तथा इस बात को याद रखने को कहा कि सभी भारतीय एक हैं और भारत में सभी के लिये जगह है।