यूपी के सीएम अखिलेश यादव की फाइल फो
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आगामी 31 दिसंबर को नोएडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शिरकत नहीं करेंगे। उनके प्रतिनिधि के रूप में पंचायती राज मंत्री कैलाश यादव समारोह में हिस्सा लेंगे।
पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) ए. सतीश गणेश ने संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए मुख्यमंत्री के नोएडा जाने की संभावना संबंधी सवाल पर कहा, प्रधानमंत्री के दौरे के सिलसिले में मंगलवार को हुई तैयारी बैठक में मुख्यमंत्री की तरफ से उनके प्रतिनिधि के रूप में पंचायती राज विभाग के मंत्री को नामित किया गया है। डायस प्लान में भी उनके लिए प्रबंध कर लिया गया है। उन्होंने कहा, अभी तक पंचायती राज मंत्री के ही प्रधानमंत्री के दौरे पर मौजूद रहने का कार्यक्रम है।
मालूम हो कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती समेत कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के नोएडा दौरे के कुछ ही समय बाद सत्ता गंवा देने के अजीबोगरीब इत्तेफाक की वजह से अब मुख्यमंत्री नोएडा जाने से परहेज करते हैं। अखिलेश भी उसी राह पर हैं और वह प्रधानमंत्री मोदी की 31 दिसंबर को प्रस्तावित नोएडा (गौतमबुद्धनगर) दौरे पर उनके साथ नहीं होंगे। प्रधानमंत्री नोएडा के सेक्टर-62 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के शिलान्यास के लिए आ रहे हैं।
'नोएडा फोबिया' की शुरुआत वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के नोएडा यात्रा के कुछ दिनों बाद सत्ता गंवाने से हुई। यह अजब इत्तेफाक है कि वर्ष 1989 में नारायण दत्त तिवारी, साल 1995 में मुलायम सिंह यादव, वर्ष 1997 में मायावती और साल 1999 में कल्याण सिंह को भी नोएडा की यात्रा करने के कुछ समय बाद सत्ता से हटना पड़ा था। राज्य की चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं मायावती अक्टूबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने के लिए नोएडा गईं थीं और संयोग से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा। मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन नोएडा के बजाय लखनऊ से किया था।
पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) ए. सतीश गणेश ने संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शरीक होने के लिए मुख्यमंत्री के नोएडा जाने की संभावना संबंधी सवाल पर कहा, प्रधानमंत्री के दौरे के सिलसिले में मंगलवार को हुई तैयारी बैठक में मुख्यमंत्री की तरफ से उनके प्रतिनिधि के रूप में पंचायती राज विभाग के मंत्री को नामित किया गया है। डायस प्लान में भी उनके लिए प्रबंध कर लिया गया है। उन्होंने कहा, अभी तक पंचायती राज मंत्री के ही प्रधानमंत्री के दौरे पर मौजूद रहने का कार्यक्रम है।
मालूम हो कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती समेत कई पूर्व मुख्यमंत्रियों के नोएडा दौरे के कुछ ही समय बाद सत्ता गंवा देने के अजीबोगरीब इत्तेफाक की वजह से अब मुख्यमंत्री नोएडा जाने से परहेज करते हैं। अखिलेश भी उसी राह पर हैं और वह प्रधानमंत्री मोदी की 31 दिसंबर को प्रस्तावित नोएडा (गौतमबुद्धनगर) दौरे पर उनके साथ नहीं होंगे। प्रधानमंत्री नोएडा के सेक्टर-62 में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के शिलान्यास के लिए आ रहे हैं।
'नोएडा फोबिया' की शुरुआत वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के नोएडा यात्रा के कुछ दिनों बाद सत्ता गंवाने से हुई। यह अजब इत्तेफाक है कि वर्ष 1989 में नारायण दत्त तिवारी, साल 1995 में मुलायम सिंह यादव, वर्ष 1997 में मायावती और साल 1999 में कल्याण सिंह को भी नोएडा की यात्रा करने के कुछ समय बाद सत्ता से हटना पड़ा था। राज्य की चौथी बार मुख्यमंत्री बनीं मायावती अक्टूबर 2011 में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने के लिए नोएडा गईं थीं और संयोग से वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा। मौजूदा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन नोएडा के बजाय लखनऊ से किया था।
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