'भारत माता की जय' नारा थोपा नहीं जाए : संघ प्रमुख मोहन भागवत

'भारत माता की जय' नारा थोपा नहीं जाए : संघ प्रमुख मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)

लखनऊ:

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने लखनऊ में "भारत माता की जय "विवाद पर यू-टर्न ले लिया और कहा कि "भारत माता की जय" नारा किसी पर थोपा नहीं जा सकता। भागवत ने यह बात आरएसएस कार्यकर्ताओं से एक क्लोज्ड डोर मीटिंग में कही। भागवत दो दिन के दौरे पर लखनऊ आए हुए हैं। सोमवार को उन्होंने शहर के एपी सेन रोड पर संघ की एक नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया।

मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले कहा था कि, "नौजवानों को देश भक्ति की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वे भारत माता की जय" बोल सकें। फिर उन्होंने कोलकाता में कहा कि उनकी तमन्ना है कि पूरी दुनिया भारत माता की जय बोले। लेकिन आज लखनऊ में आरएसएस कार्यकर्ताओं के सामने भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि, "भारत माता की जय" का नारा आप थोप नहीं सकते। इसलिए ज़रूरी है कि आप ऐसा आदर्श पेश करें कि लोग खुद से "भारत माता की जय" का नारा लगाएं।"

पिछले दिनों ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी ने कह दिया था कि वह आरएसएस के कहने से कभी भारत माता की जय नहीं बोलेंगे। इसे संघ, भारतीय जनता पार्टी और उनकी सोच से जुड़े लोगों ने बड़ा मुद्दा बनाया था। तमाम जगहों पर बीजेपी के लोगों ने ओवैसी के पुतले जलाए। दिल्ली में ओवैसी के घर पर प्रदर्शन करने जा रहे कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। दरअसल "वंदे मातरम्" और "भारत माता की जय" जैसे नारे आरएसएस, बीजेपी, वीएचपी के एजेंडे का हिस्सा हैं। "अगर देश में रहना है तो वंदे मातरम् कहना होगा।"

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जैसे नारे भी इन संगठनों की ही देन हैं। मुसलमानों का एक तबक़ा मानता है कि वंदे मातरम् बुनियादी तौर पर हिन्दू देवियों की प्रार्थना है, इसलिए वे उसे पढ़ने से परहेज़ करते हैं। सियासत के जानकार कहते हैं कि संघ और बीजेपी हमेशा इन्हें मुद्दा बनते हैं क्योंकि इससे सामाजिक ध्रुवीकरण कराने में आसानी होती है। इसलिए भले यह बात मोहन भगवत ने अपने कार्यकर्ताओं से बंद कमरे में ही क्यों न कही हो इसकी अहमियत है। और इसके सही इंटरप्रेटेशन की भी ज़रूरत है।