सुषमा स्वराज(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ललित मोदी विवाद में फंसी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लिए अगले हफ्ते शुरु होने वाला मॉनसून सत्र राहत भरा हो सकता है। गैर कांग्रेसी दलों ने अनौपचारिक रूप से आने वाले संसद सत्र में सुषमा के खिलाफ ना बोलने का फैसला लिया है। यानि ललित मोदी मामले में विपक्ष की कोशिश रहेगी कि सरकार को तो घेरा जाए लेकिन सुषमा पर निशाना साधने से बचें। वैसे इस मसले पर सुषमा के अलावा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी घेरे में आई हैं।
एनडीटीवी को विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से पता चला है कि तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, जेडीयू और समाजवादी पार्टी ने फोन पर बातचीत करके "सुषमा-के-खिलाफ-ना-बोलने" का समझौता कर लिया है। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताबिक "हमने इस सत्र के लिए अपनी रणनीति पर चर्चा की है और हमें लगता है कि सुषमाजी एक अच्छी महिला हैं. उनका व्यवहार हमेशा अच्छा और सही रहा है। हम सबके साथ उनके अच्छे संबंध हैं इसलिए ना हम उनके खिलाफ खड़े होंगे और ना ही नारे लगाएंगे।"
वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सुषमा स्वराज ने ब्रिटेन यात्रा के लिए दस्तावेज़ हासिल करने में ललित मोदी की मदद की है और इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। हालांकि पिछले महीने उठे इस विवाद पर कांग्रेस के अलावा बाकी के विपक्ष दलों के भीतर बहुत ज्यादा आक्रमक रवैया नज़र नहीं आ रहा। जैसे कि जब तृणमूल कांग्रेस के सासंद सौगातो रॉय ने स्वराज की आलोचना की तब एक ट्वीट के जरिए पार्टी ने साफ कर दिया कि ये रॉय की 'व्यक्तिगत राय' है। इसी तरह जब एनसीपी के सांसद डीपी त्रिपाठी ने स्वराज के खिलाफ अपनी बात कही तो पार्टी चीफ शरद पवार ने उन्हें 'चुप' रहने की सलाह दे डाली।
इस मुद्दे पर सुषमा स्वराज अपना बचाव करते हुए कहती आई हैं कि उन्होंने मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की थी ताकि वह पुर्तगाल में अपनी बीमार पत्नी से मिलने जा सकें। तो क्या विपक्ष के लिए ये जवाब काफी है? एक राजनेता कहते हैं "उनका रवैया हमेशा से अच्छा ही रहा है। हां, ये विवाद काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा लेकिन एक बात साफ है कि हम उनके इस्तीफे की मांग नहीं करने वाले।"
ये बात अलग है कि विपक्ष का ये नरम रवैया वसुंधरा राजे के लिए नहीं है जिनका नाम भी इस मामले में फंसा हुआ है। एक सूत्र के अनुसार स्वराज की तरह राजे की दूसरी पार्टियों के साथ ज्यादा नहीं बन पाती। बता दें कि भारत सरकार को आईपीएल में भष्ट्रचार के मामले में ललित मोदी की तलाश है।
एनडीटीवी को विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से पता चला है कि तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, जेडीयू और समाजवादी पार्टी ने फोन पर बातचीत करके "सुषमा-के-खिलाफ-ना-बोलने" का समझौता कर लिया है। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के मुताबिक "हमने इस सत्र के लिए अपनी रणनीति पर चर्चा की है और हमें लगता है कि सुषमाजी एक अच्छी महिला हैं. उनका व्यवहार हमेशा अच्छा और सही रहा है। हम सबके साथ उनके अच्छे संबंध हैं इसलिए ना हम उनके खिलाफ खड़े होंगे और ना ही नारे लगाएंगे।"
वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सुषमा स्वराज ने ब्रिटेन यात्रा के लिए दस्तावेज़ हासिल करने में ललित मोदी की मदद की है और इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। हालांकि पिछले महीने उठे इस विवाद पर कांग्रेस के अलावा बाकी के विपक्ष दलों के भीतर बहुत ज्यादा आक्रमक रवैया नज़र नहीं आ रहा। जैसे कि जब तृणमूल कांग्रेस के सासंद सौगातो रॉय ने स्वराज की आलोचना की तब एक ट्वीट के जरिए पार्टी ने साफ कर दिया कि ये रॉय की 'व्यक्तिगत राय' है। इसी तरह जब एनसीपी के सांसद डीपी त्रिपाठी ने स्वराज के खिलाफ अपनी बात कही तो पार्टी चीफ शरद पवार ने उन्हें 'चुप' रहने की सलाह दे डाली।
इस मुद्दे पर सुषमा स्वराज अपना बचाव करते हुए कहती आई हैं कि उन्होंने मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की थी ताकि वह पुर्तगाल में अपनी बीमार पत्नी से मिलने जा सकें। तो क्या विपक्ष के लिए ये जवाब काफी है? एक राजनेता कहते हैं "उनका रवैया हमेशा से अच्छा ही रहा है। हां, ये विवाद काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहा लेकिन एक बात साफ है कि हम उनके इस्तीफे की मांग नहीं करने वाले।"
ये बात अलग है कि विपक्ष का ये नरम रवैया वसुंधरा राजे के लिए नहीं है जिनका नाम भी इस मामले में फंसा हुआ है। एक सूत्र के अनुसार स्वराज की तरह राजे की दूसरी पार्टियों के साथ ज्यादा नहीं बन पाती। बता दें कि भारत सरकार को आईपीएल में भष्ट्रचार के मामले में ललित मोदी की तलाश है।
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