यह ख़बर 08 जून, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सियाचिन पर बड़े फैसले की उम्मीद नहीं : एंटनी

खास बातें

  • सियाचिन पर पाकिस्तान के साथ वार्ता से पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी ने शुक्रवार को कहा कि इसमें कोई बड़ी घोषणा या फैसला होने की संभावना नहीं है।
नई दिल्ली:

सियाचिन पर पाकिस्तान के साथ वार्ता से पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी ने शुक्रवार को कहा कि इसमें कोई बड़ी घोषणा या फैसला होने की संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा कि 11-12 जून को इस्लामाबाद में होने वाली रक्षा सचिव स्तर की वार्ता में इस मुद्दे पर अपने रूख पर भारत अडिग रहेगा। उन्होंने संभवत: भारत के रूख का हवाला देते हुए कहा कि दोनों ही देशों द्वारा सियाचिन में सैनिकों की मौजूदा स्थिति के बारे में उचित सत्यापन होना चाहिए।

एंटनी ने कहा, ‘‘ऐसे मुद्दे पर नाटकीय घोषणा या फैसले की उम्मीद नहीं करे जो हमारे लिए बहुत अहम है, खासकर राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, लेकिन महज एक चर्चा से आप किसी नाटकीय घोषणा की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।’’ सेना के तीनों अंगों के एथलीटों को बधाई देने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए एंटनी ने कहा कि रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा पाकिस्तान के साथ वार्ता के दौरान भारत के रूख को बयां करेंगे।

उन्होंने कहा कि रक्षा सचिव वहां हमारे रूख को बयां करेंगे। एंटनी ने जोर देकर कहा कि भारत सियाचिन मुद्दे पर भारत का स्पष्ट रूख है। उन्होंने कहा, ‘‘वे (दोनों देशों के रक्षा सचिव) वहां चर्चा करने जा रहे हैं। लेकिन हम इस बारे में विस्तृत रूप में चर्चा कर चुके हैं। हमारा बहुत स्पष्ट रूख है, चूंकि चर्चा होने जा रही है, इसलिए मैं यहां जवाब देना नहीं चाहता।’’

सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमिटी ने सियाचिन मुद्दे पर भारत के रूख के बारे में कल चर्चा की थी। दरअसल, 15,000 फुट से अधिक की उंचाई वाले इस पर्वतीय क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती पर दोनों ही देशों को वित्त और मानव संसाधन के रूप में बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। भारत और पाकिस्तान ने सियाचिन मुद्दे के समाधान के लिए कई दौर की वार्ता की है।

इस क्षेत्र को सैन्य रहित करने के लिए दोनों ही देश कुछ साल पहले एक समझौते के काफी करीब पहुंच चुके थे लेकिन यह साकार नहीं हो सका क्योंकि पाकिस्तान ने दोनों ओर की मौजूदा सैन्य स्थिति को सत्यापित करने से इनकार कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में सियाचिन की यात्रा के दौरान कहा था कि दोनों ही देशों को सबसे अधिक उंचाई पर स्थित इस युद्ध क्षेत्र को शांति पर्वत के रूप में तब्दील करने के लिए काम करना चाहिए।

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हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने दलील दी थी कि भारत ने सियाचिन मुद्दे पर 1989 की तुलना में अपना रूख सख्त कर लिया है। कयानी के सुझाव पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने सियाचिन से सेना हटाने के अपने पाकिस्तानी समकक्ष के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।