
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वित्तीय घाटा वेज बोर्ड लागू न करने की कोई वजह नहीं.
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कोर्ट ने कहा कि अखबार समूहों जानबूझकर डिफॉल्ट नहीं किया
कोर्ट ने यह भी कहा कि वित्तीय घाटा वेज बोर्ड लागू न करने की कोई वजह नहीं
मजीठिया आयोग की सिफारिशें सभी कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मियों पर लागू होंगी
तीन मई को कोर्ट ने सारी दलीलों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी, 2014 को मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पत्रकारों व गैर पत्रकार कर्मियों को वेतनमान, एरियर समेत अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार नवम्बर 2011 से एरियर और अन्य वेतन परिलाभ देने के आदेश दिए, लेकिन इस आदेश का पालन मीडिया संस्थानों ने नहीं किया.
देश के बड़े समाचार समूहों में वेजबोर्ड लागू नहीं किया गया. आरोप है कि मीडिया संस्थानों ने वेजबोर्ड देने से बचने के लिए मीडियाकर्मियों से जबरन हस्ताक्षर करवा लिए कि उन्हें मजीठिया वेजबोर्ड के तहत वेतन परिलाभ से वंचित रखा. जिन कर्मचारियों ने इनकी बात नहीं मानी, उन्हें स्थानांतरण करके प्रताड़ि किया जा रहा है. कईयों को नौकरी से निकाल दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों, श्रम विभाग और सूचना व जन सम्पर्क निदेशालयों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने के लिए जिम्मेदारी तय की है, लेकिन वे इसकी पालना नहीं करवा रहे हैं. वेजबोर्ड लागू नहीं करने पर पत्रकारों व गैर पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिकाएं दायर की. इसके बाद देशभर से सभी बड़े अखबारों के खिलाफ अवमानना याचिकाएं लगी.
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