नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की सलाह दे चुके पार्टी सांसद राम जेठमलानी ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी को दूसरा कार्यकाल नहीं लेना चाहिए।
जेठमलानी ने कहा, ‘‘गडकरी को पार्टी और खुद के हित को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ से हट जाना चाहिए। उन्हें यह पद ऐसे व्यक्ति को सौंप देना चाहिए जिसमें लोगों का अधिक विश्वास हो। उन्हें दूसरे कार्यकाल की आरज़ू नहीं रखनी चाहिए।’’
अगले लोकसभा चुनावों में मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का सुझाव देने वाले विख्यात अधिवक्ता ने आज कहा कि गडकरी के पार्टी अध्यक्ष बने रहने से भाजपा की स्थिति कमजोर होगी।
इस तर्क को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ज़ाहिर है, उनकी (गडकरी) ईमानदारी को लेकर शक उठे हैं और पार्टी तथा उनके खुद के हित में यही है कि वह इस पद से हट जाएं।’’
भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसा नहीं होने से पार्टी की स्थिति कमजोर होगी। ‘‘आने वाले चुनावों में हम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ रहे हैं और ऐसे में हमें पूर्ण रूप से निष्कलंक छवि वाले व्यक्ति की जरूरत है।’’ उन्होंने सीएनएन-आईबीएन से बातचीत में उक्त सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें कारोबारियों के राजनीति में आने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन साथ ही कहा कि ऐसे लोगों को ‘राजनीति को कारोबार’ नहीं बनाना चाहिए।
जेठमलानी ने कहा, ‘‘गडकरी को पार्टी और खुद के हित को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष पद के दूसरे कार्यकाल की दौड़ से हट जाना चाहिए। उन्हें यह पद ऐसे व्यक्ति को सौंप देना चाहिए जिसमें लोगों का अधिक विश्वास हो। उन्हें दूसरे कार्यकाल की आरज़ू नहीं रखनी चाहिए।’’
अगले लोकसभा चुनावों में मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का सुझाव देने वाले विख्यात अधिवक्ता ने आज कहा कि गडकरी के पार्टी अध्यक्ष बने रहने से भाजपा की स्थिति कमजोर होगी।
इस तर्क को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ज़ाहिर है, उनकी (गडकरी) ईमानदारी को लेकर शक उठे हैं और पार्टी तथा उनके खुद के हित में यही है कि वह इस पद से हट जाएं।’’
भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसा नहीं होने से पार्टी की स्थिति कमजोर होगी। ‘‘आने वाले चुनावों में हम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लड़ रहे हैं और ऐसे में हमें पूर्ण रूप से निष्कलंक छवि वाले व्यक्ति की जरूरत है।’’ उन्होंने सीएनएन-आईबीएन से बातचीत में उक्त सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें कारोबारियों के राजनीति में आने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन साथ ही कहा कि ऐसे लोगों को ‘राजनीति को कारोबार’ नहीं बनाना चाहिए।
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